प्रसंगवश: निवेश को बढ़ावा देंगे आवागमन के सुविधायुक्त साधन
सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की। शिक्षकों के तबादले, नीति नहीं होने की आड़ में ही अटकाए जाते रहे हैं। कई कमेटियां व मंत्रिमंडलीय उपसमिति के गठन के बावजूद तबादलों को लेकर कोई कारगर नीति नहीं बन सकी है। वर्ष 1994 से लेकर वर्ष 2021 तक करीब आधा दर्जन कमेटियां तबादला नीति पर सुझाव देने को लेकर बनी लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। दरअसल तबादलों के लिए डिजायर संस्कृति ने ही कोई नीति नहीं बनने दी। प्रदेश में करीब साढ़े तीन लाख तृतीय श्रेणी शिक्षक हैं।प्रसंगवश: प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता बनाए रखना बड़ी चुनौती
इनमें से 72 हजार शिक्षक कई वर्षों से ‘डार्क जोन’ वाले जिलों में कार्यरत हैं। वे अपने गृह जिले के आसपास आना चाहते हैं। अब शिक्षक संगठनों ने तबादले नहीं खोलने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। प्रदेश में अगले महीने तक तबादला प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती तो फिर नया शिक्षा सत्र शुरू हो जाएगा। सरकार को शिक्षक संगठनों से भी विचार-विमर्श कर तबादलों की स्थायी नीति बनानी चाहिए ताकि असमंजस दूर हो सके।
- आशीष जोशी: ashish.joshi@epatrika.com