scriptसम्पादकीय : तकनीकी नवाचार में बढ़े महिलाओं की भागीदारी | Patrika News
ओपिनियन

सम्पादकीय : तकनीकी नवाचार में बढ़े महिलाओं की भागीदारी

इंजीनियरिंग को अब भी पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता है। शायद यही वजह है कि महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे आने का प्रोत्साहन अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिल पाता।

जयपुरAug 27, 2025 / 07:40 pm

ANUJ SHARMA

यह सचमुच चिंता का विषय है कि देश के प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) में जेंडर न्यूट्रल श्रेणी में केवल 31 महिला अभ्यर्थियों का ही दाखिला हो सका है। आइआइटी की कुल 18,188 सीटों में यह आंकड़ा मात्र 0.17 प्रतिशत है। आइआइटी कानपुर की ओर से जारी जॉइंट इंप्लीमेंटेशन कमेटी (जेआइसी) की रिपोर्ट इस कड़वी सच्चाई को उजागर करती है कि तकनीक और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महिलाओं को लेकर समाज में गहरे पूर्वाग्रह मौजूद हैं। इंजीनियरिंग को अब भी पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता है। शायद यही वजह है कि महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे आने का प्रोत्साहन अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिल पाता।
यह चिंता इसलिए भी गंभीर है क्योंकि युद्ध के मैदान तक अपनी क्षमता साबित कर चुकी महिलाओं की विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) के क्षेत्रों में हिस्सेदारी बेहद कम है। यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी (जीईएम) की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर एसटीईएम क्षेत्रों में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 35 प्रतिशत है। सबसे खास बात है कि यह आंकड़ा पिछले एक दशक से लगभग स्थिर है। डाटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) जैसे उभरते क्षेत्रों में भी महिलाओं की हिस्सेदारी बेहद कम है। इंजीनियरिंग में 15 प्रतिशत और क्लाउड कंप्यूटिंग में मात्र 12 प्रतिशत का आंकड़ा चिंतित करने वाला है। इस असमानता का मूल कारण वह पूर्वाग्रह है, जिसमें परिवार और समाज अक्सर यह मान लेते हैं कि इंजीनियरिंग क्षेत्र पुरुषों के लिए अधिक उपयुक्त है। इस सोच का असर यह होता है कि असाधारण प्रतिभा के बावजूद लड़कियां इन विषयों में रुचि लेने से हिचकती हैं। इसके अलावा स्कूलों और कॉलेजों में लैंगिक भेदभाव और संसाधनों तक असमान पहुंच भी उनकी प्रगति में बाधक बनती है। इस स्थिति को बदलने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। सबसे पहले घर और स्कूल से ही बेटियों को एसटीईएम क्षेत्रों में प्रोत्साहित करना होगा। शिक्षकों और अभिभावकों को यह समझना होगा कि लैंगिक आधार पर किसी की क्षमता का आकलन नहीं किया जा सकता। दूसरा, सरकार और शैक्षणिक संस्थानों को ऐसी नीतियां लागू करनी चाहिए, जो महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएं। इसके लिए विशेष छात्रवृत्तियां, मेंटरशिप प्रोग्राम और जागरूकता अभियान कारगर हो सकते हैं। उद्योगों को भी महिलाओं को तकनीकी क्षेत्रों में नेतृत्व करने वाली भूमिकाएं प्रदान करनी चाहिए, ताकि वे रोल मॉडल बन सकें। इसके अलावा, स्कूल स्तर पर गणित और विज्ञान की शिक्षा को अधिक समावेशी बनाना होगा।
दुनिया तेजी से बदल रही है। तकनीकी नवाचार का नेतृत्व केवल पुरुषों तक सीमित नहीं रह सकता। महिलाओं की प्रतिभा और दृष्टिकोण को शामिल किए बिना यह क्षेत्र अधूरा है। महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने होंगे। तभी हम समावेशी और प्रगतिशील भविष्य की ओर बढ़ सकेंगे।

Hindi News / Opinion / सम्पादकीय : तकनीकी नवाचार में बढ़े महिलाओं की भागीदारी

ट्रेंडिंग वीडियो