इतनी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल अमरीका तैयार कर रहा है। अंतरिक्ष में 24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त होता है। 90-90 मिनट की दिन और रात होती है। अंतरिक्ष स्टेशन 24 घंटे में पृथ्वी के चारों ओर लगभग 16 बार चक्कर लगाता है। सैटेलाइट मिसाइलों का प्रयोग अतंरिक्ष से कैसे हो, इसके लिए नासा की रिसर्च बहुत पहले से जारी है।इसरो और नासा अंतरिक्ष में मानव जीवन, सांस, पानी होने की पड़तालों में भी जुटे हैं। पर, इसरो का अगला कदम वर्ष 2035 में अंतरिक्ष में खुद का ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ स्थापित करने के अलावा वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर मनुष्य को उतारना है। इसके लिए वह ‘मिशन गगनयान’ को लांच करने की घोषणा पहले ही कर चुका है। इस मिशन में लगे वैज्ञानिकों को विशेष स्पेस ट्रेनिंग दी जा रही है। अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु की यह उड़ान केवल एक मिशन नहीं, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक नए युग में साहसपूर्वक कदम रखने का संकेत भी है। इसरो अपने आगामी ‘गगनयान मिशन’ को अब तक के सबसे बड़े मिशन में गिन रहा है जिसकी तैयारियां में बीते कई वर्षों से देश के टॉप 400 अतंरिक्ष वैज्ञानिक लगे हैं।