पहले क्या था हाल?
गांवों में अक्सर ऐसा होता था-खेत से सब्ज़ियां, फल या प्याज-टमाटर निकले, मगर मंडी तक पहुंचने में या तो खराब हो गए या ताज़गी चली गई। बारिश हो गई तो उपज गल गई। गर्मी ज्यादा पड़ी तो जल्दी सड़ गई। किसान मंडी में औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर! न किसान खुश, न ग्राहक संतुष्ट।
अब क्या बदल गया?
अब खेत पर ही पैक हाउस बनेगा-मतलब तुड़ाई के बाद फसल को वहीं ग्रेडिंग, पैकिंग। प्याज के लिए खास भंडारण केंद्र होंगे, फल के लिए राईपनिंग चैम्बर, जिसमें केला या आम जैसे फल प्राकृतिक तरीके से पकाए जाएंगे। ठंडा रखने के लिए कोल्ड रूम या कोल्ड स्टोरेज। मंडी तक उपज ठंडी गाड़ी-रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट व्हीकल से जाएगी। और अगर किसान चाहे तो धूप की मुफ्त ऊर्जा से अनाज या मसाले सुखाने के लिए सोलर क्रॉप ड्रायर भी लगा सकता है। मतलब अब किसान को मौसम की मार से डरने की जरूरत नहीं।
क्या मिलेगा अनुदान में?
सबसे खास बात- इन सबके लिए किसान को पूरी रकम अपनी जेब से नहीं डालनी पड़ेगी। सरकार मदद करेगी। किसान चाहे तो अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी सुविधा चुन सकता है। छोटे किसान हों या बड़े, सबके लिए कुछ न कुछ है। किसान को क्या फायदा?
- उपज सालभर सुरक्षित।
- मंडी में सही समय पर बेच सकेंगे।
- ताज़ा माल, बढ़िया दाम।
- कमाई दुगुनी, तिगुनी।
- ग्राहक को भी ताजा और पौष्टिक सामान।
कैसे मिलेगा लाभ?
इसके लिए किसान को कुछ जरूरी कागज जमा करने होंगे:-
- आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट फोटो।
- चार्टर्ड अकाउंटेंट से डीपीआर यानी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट।
- सिविल इंजीनियर से ड्राइंग-डिजाइन की मंजूरी।
- जमीन के कागज़ात, बैंक लोन स्वीकृति पत्र, शपथ पत्र आदि।
फिर ई-मित्र से ऑनलाइन आवेदन करना होगा। सारी प्रक्रिया पारदर्शी है। दस्तावेज़ भी राष्ट्रीय कोल्ड चैन विकास केंद्र और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मानकों के अनुसार होने चाहिए।
क्या कहते हैं अधिकारी?
कल्प वर्मा, उप निदेशक, उद्यान विभाग, राजसमंद कहते हैं कि समन्वितफसलोत्तर प्रबंधन योजना ने किसानों के खेत से मंडी तक का रास्ता आसान कर दिया है। किसान इसका भरपूर लाभ उठाएं और अपनी मेहनत का पूरा मोल पाएं।