केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार ने एक जुलाई से एफआरएस से पोषाहार वितरण करने के निर्देश दिए थे। किसी लाभार्थी का ई–केवाईसी, आधार कार्ड से मैच और फोटो मिलान होने पर ही वह एफआरएस से जुड़ सकता है। इससे पोषाहार वितरण में होने वाला फर्जीवाड़ा रूक सकेगा। लाभार्थियों (गर्भवती, धात्री और बच्चों) का पंजीकरण ई-केवाईसी होगा। आधार कार्ड और चेहरे का सत्यापन होगा। गर्भवती, धात्री और किशोरियों के लिए आधार कार्ड होना अनिवार्य किया गया है।
स्मार्ट फोन नहीं, दूर-दराज क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा नहीं-
प्रदेश में सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण ट्रैकर ऐप से लाभार्थियों को पोषाहार देने से पहले उनका फोटो लेनी होती है।आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को ओटीपी बताने के बाद ही लाभार्थी को टेक होम राशन (टीएचआर) या पोषाहार दिया जाएगा। बहुत सी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पास में स्मार्ट फोन नहीं है। जिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पास मोबाइल फोन हैं, वो भी पुराने हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों व दूर-दराज के आदिवासी इलाकों में प्रोपर इंटरनेट की व्यवस्था नहीं है। अभी तक गर्भवती महिलाओं के परिवार के सदस्य भी आकर पोषाहार ले जाते हैं लेकिन अब बिना फेस रिकगनाइजेशन के पोषाहार नहीं मिल सकेगा।
आंगनबाड़ी केंद्रों में जगह नहीं, कहां रखेंगे बचा हुआ पोषाहार-
अभी तक पोषण ट्रैकर ऐप से से सभी लाभार्थियों का अपडेटेशन नहीं हो सका है। ऐसे में एफआरएस से नहीं जुड़ने वाले बच्चों व महिलाओं को पोषाहार नहीं मिलेगा। ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र किराए के एक-एक कमरे में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में वहां पोषाहार रखने की व्यवस्था नहीं है। यदि पोषाहार रखा जाएगा तो फिर बच्चों के बैठने की जगह नहीं बचेगी।
गर्भवती व धात्री महिलाओं व बच्चों को दिया जाता है पोषाहार-
टेक होम राशन में गर्भवती और धात्री महिलाओं को सादा दलिया, मीठा दलिया, फोर्टिफाइड न्यूट्री, मसाला खिचड़ी के पैकेट दिए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को नौ माह तक और धात्रियों को छह महीने तक हर महीने पैकेट दिए जाते हैं। वहीं बच्चों को पूरक पोषाहार दिया जाता है।
राजस्थान में पोषाहार का लाभ लेने वाली महिलाएं व बच्चे —
लाभार्थी लाभार्थियों की कुल संख्या छह माह तक के बच्चे 189798 छह माह से छह साल तक के बच्चे 1782138 तीन साल से छह साल तक के बच्चे 1626142 गर्भवती महिलाएं 362752 धात्री महिलाएं 222094
इनका कहना है
हम सभी लाभार्थियों को एफआरएस से जोड़ रहे हैं। अभी सारे डेटा एकत्रित नहीं हो पाए हैं। आपको देखकर लाभार्थी महिलाओं व बच्चों की संख्या बताएंगे।
सुमन पारीक, उप निदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, सीकर