मामले की जांच 12 जून को शुरू हुई थी, जब राजस्थान के अलवर निवासी सुभाष चंद्रा ने पुलिस को बताया कि उनके बेटे भीम सिंह (22) और भतीजे नारायण (25) को अगवा कर लिया गया और उन्हें फोन कर 7 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई। भीम और नारायण 15-20 दिन पहले काम के सिलसिले में नोएडा गए थे। यह पहली बार नहीं था और दोनों काम के सिलसिले में नोएडा जाते रहते थे, लेकिन परिवार को उनकी गतिविधियों की जानकारी नहीं थी। पुलिस ने मोबाइल की लोकेशन ट्रैक की तो जांच में गौर सिटी के एक अपार्टमेंट से चार युवक पकड़े गए, जिनके पास से लैपटॉप, दर्जनों मोबाइल, फर्जी दस्तावेज और ‘रुद्र क्रिक लाइव’ ऐप से जुड़े सबूत मिले। गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों ने पुलिस को राधा स्काई गार्डन तक पहुंचाया, जहां रैकेट से जुड़े दूसरे गिरोह में भीम और नारायण मौजूद थे।
पता चला कि आरोपी हर दिन 30 लाख रुपए का सट्टा खेलते थे और पैसा दुबई-थाईलैंड के खातों में ट्रांसफर करते थे। पूछताछ में भीम और नारायण ने कुबूल किया कि नुकसान की भरपाई के लिए अपहरण का नाटक रचा गया था। ग्रेटर नोएडा के कासना पुलिस स्टेशन में पुलिस ने दिल्ली-एनसीआर में 20 ब्रांचों वाले इस नेटवर्क के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट और आइटी एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
क्रिकेट मैच के दिन होते थे सक्रिय भीम और नारायण ने बताया कि गिरोह के सदस्य क्रिकेट मैच के दिनों में काम करते हैं, हर शाखा में तीन लड़के होते हैं जो इस सट्टेबाजी की शुरुआत करते हैं, और कुछ मैनेजर होते हैं। सभी सैलरी पर काम करते हैं। उनकी ऐप ‘रुद्र क्रिक लाइव’ भारत में प्रतिबंधित है, लेकिन कुछ प्रभावशाली लोगों और ऑनलाइन पॉप-अप के माध्यम से इसका प्रचार किया जा रहा है।