14 फरवरी को हुई गिरफ्तार, 8 मार्च को भेजी गई जेल
14 फरवरी को चौधरन कॉलोनी में रहने वाले बैंक मैनेजर अनुपम जैन का 14 वर्षीय पुत्र अभ्युदय अपने घर के बाथरूम में संदिग्ध परिस्थितियो में मृत अवस्था में मिला था। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों की राय और मौके पर मिले साक्ष्यों के आधार पर मां अलका जैन को हत्या का आरोपी माना। इसी पर से विगत 22 फरवरी को कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई और 8 मार्च को अलका को गिरफ्तार कर लिया गया। तभी से वह गुना जेल में निरुद्ध है। पुलिस जांच से असंतुष्ट थे अभ्युदय के पिता
इसी बीच मृतक अभ्युदय के पिता अनुपम पुलिस की इस जांच से असंतुष्ट थे। उन्होंने डीजीपी को एक पत्र लिखकर इस मामले की सीबीआई से या एसआईटी से जांच कराने का आग्रह किया था। उन्होंने इस पत्र में यह भी कहा था कि इस मामले की जांच गुना के किसी बाहरी अधिकारी से कराई जाए। डीजीपी के आदेश पर ग्वालियर रेंज के आईजी अरविन्द सक्सेना ने एसआईटी से जांच कराने के लिए एक टीम गठित की, इसका प्रभारी डीआईजी अमित सांघी को बनाया गया था। बताया गया कि आईजी के आदेश पर शिवपुरी के अजाक डीएसपी अवनीत शर्मा को नई एसआईटी का हेड बनाया था। यह टीम करीब डेढ़ महीने से दोबारा जांच कर रही थी।
SIT ने माना था निर्दोष
उक्त टीम ने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से मेडिको-लीगल राय मांगी। जिनकी रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चे की मौत फांसी लगने से हुई है। इस आधार पर एसआईटी ने अलका जैन को निर्दोष मानते हुए विगत 5 मई को सीजेएम कोर्ट में खारिजी रिपोर्ट पेश की थी, लेकिन सुनवाई में सीजेएम कोर्ट ने एसआईटी द्वारा पेश की गई खारिजी रिपोर्ट को खारिज कर दिया। सीजेएम मधुलिका मुले ने रिपोर्ट को अधूरी मानते हुए हत्या और साक्ष्य छिपाने की धाराओं में संज्ञान लिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने भी अपने आदेश में कई बिन्दुओं पर पुर्नविचार करने को भी कहा था। इसके बाद 14 मई को अल्का जैन की जमानत के लिए हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में आवेदन लगाया गया था। गत दिवस 16 जून को कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए उसकी जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने उसे जमानत दे दी है। इसी के बाद संभवत: मंगलवार को देर शाम या बुधवार को सुबह 98 दिन बाद अलका जैन जेल से बाहर आ सकती हैं।