दुनियाभर के 1.6 लाख से ज्यादा वयस्कों के आंकड़ों पर आधारित शोध में पाया गया कि रोजाना करीब 7,000 कदम चलने से कई तरह की पुरानी बीमारियों और यहां तक कि समय से पहले मौत का खतरा भी काफी कम हो सकता है। यह पहला शोध है, जो रोज के कदमों की गिनती को न सिर्फ हृदय के स्वास्थ्य से, बल्कि मधुमेह , अवसाद, मनोभ्रंश और कैंसर से भी जोड़ता है। शोध के मुताबिक रोज 7,000 कदम चलने से किसी भी कारण से मृत्यु का खतरा 47%, हृदय रोग का 25%, मनोभ्रंश का 38%, अवसाद का 22% और कैंसर का 6% तक कम हो सकता है। इसके अलावा टाइप 2 मधुमेह में 14% और लडख़ड़ाकर गिरने में 28% तक गिरावट आ सकती है।
भारत के लिए सुझाव इसलिए महत्त्वपूर्ण… जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों और शहरों में निष्क्रियता के कारण भारत में हृदय संबंधी समस्याओं और मधुमेह समेत गैर-संचारी रोगों में कम उम्र के लोगों में भी चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। यह शोध उन भारतीयों के लिए यथार्थवादी और विज्ञान-समर्थित लक्ष्य प्रस्तुत करता है, जो अति-व्यस्त दिनचर्या के कारण जिम की सदस्यता लिए बगैर स्वस्थ रहना चाहते हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य उपकरण बनाएं शोधकर्ताओं का कहना है कि लोग अक्सर 10,000 कदम चलने पर दबाव महसूस करते हैं। ज्यादातर स्मार्टफोन और फिटनेस बैंड रोजाना के कदमों को ट्रैक करते हैं। यह शारीरिक गतिविधि पर नजर रखने का सबसे आसान तरीका बन गया है। शोध में रोजाना कदमों की गिनती को सार्वजनिक स्वास्थ्य उपकरण बनाने का सुझाव दिया गया है।