सोमवार सुबह भेजा गया धमकी भरा ईमेल
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि ईमेल आईडी से प्राप्त इस धमकी को गंभीरता से लिया जा रहा है। स्कूल भवनों और आसपास के इलाकों में गहन तलाशी अभियान चलाया गया, हालांकि शुरुआती जांच में अभी तक कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है। पुलिस का कहना है कि पिछली घटनाओं की तरह यह मामला भी अफवाह साबित हो सकता है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां किसी भी जोखिम को नजरअंदाज करने के मूड में नहीं हैं।
अभिभावकों में दहशत का माहौल
सोमवार सुबह अचानक स्कूलों को खाली कराने और बच्चों को घर भेजने से अभिभावकों में दहशत फैल गई। कई माता-पिता तुरंत स्कूल पहुंच गए और पुलिस से सुरक्षा के इंतजामों पर जानकारी ली। वहीं, दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपील की कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें और धैर्य बनाए रखें। राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ महीनों में इस तरह के धमकी भरे ईमेल लगातार आ रहे हैं। पुलिस और साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह एक संगठित साइबर अपराधी गिरोह की करतूत हो सकती है, जो झूठे मेल भेजकर दहशत फैलाने की कोशिश कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि धमकियों के सोर्स का पता लगाने के लिए टेक्निकल सर्विलांस और साइबर ट्रैकिंग की जा रही है।
इससे पहले भी दिल्ली के स्कूलों को मिल चुकी हैं धमकियां
18 जुलाई 2025 को यानी आज से ठीक एक महीने पहले दिल्ली में 45 से अधिक स्कूलों और तीन कॉलेजों को बम से उड़ाने की धमकी ईमेल के जरिए भेजी गई थी। मेल में लिखा था कि स्कूलों के कमरों में विस्फोटक लगाए गए हैं। हालांकि जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। इससे पहले 4 जुलाई 2025 को भी राजधानी के दर्जनों स्कूलों को धमकी भरे ईमेल भेजे गए थे, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत सभी संस्थानों की तलाशी ली। इसके अलावा 1 मई 2024 को भी दिल्ली-एनसीआर के करीब 150 स्कूलों को धमकी भरे ईमेल प्राप्त हुए थे। इससे छात्रों और अभिभावकों में हड़कंप मच गया था। इससे पहले 12 अप्रैल 2023 को दिल्ली एयरपोर्ट और कई प्रतिष्ठित स्कूलों को ईमेल के जरिए धमकी भेजी गई थी। उस समय भी पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाते हुए तलाशी ली थी। इसके अलावा 3 मई 2022 को दिल्ली के कुछ नामी स्कूलों को धमकी मिली थी कि उनके अंदर विस्फोटक लगाए गए हैं। हालांकि बाद में यह फर्जी निकली।
पुलिस की बढ़ी जिम्मेदारी
लगातार मिल रही ऐसी धमकियों के चलते दिल्ली पुलिस पर स्कूलों की सुरक्षा को लेकर दबाव बढ़ गया है। पुलिस का कहना है कि सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए तलाशी ली जा रही है और बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। वहीं, अभिभावक चाहते हैं कि सरकार और प्रशासन साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे ताकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।