विधानसभा में दर्ज कराई गई थी शिकायत
एसीबी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली की स्वास्थ्य परियोजनाओं में वित्तीय अनियमितता की शिकायत 22 अगस्त 2024 को विधानसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दर्ज कराई थी। इस शिकायत में पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों पर सार्वजनिक धन की हेराफेरी, ठेकेदारों से मिलीभगत और योजनाबद्ध तरीके से बजट में हेरफेर करने के आरोप लगाए गए थे। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के अंतर्गत आवश्यक स्वीकृति लेकर ACB ने औपचारिक जांच शुरू की और अब मामला दर्ज कर लिया है।
जांच में उजागर हुईं गंभीर अनियमितताएं
एसीबी के सूत्रों का कहना है कि जांच में सामने आया कि दिल्ली में 1125 करोड़ रुपये की लागत वाले ICU अस्पताल प्रोजेक्ट में सिर्फ 50% काम पूरा हुआ। जबकि अब तक 800 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसकी तय समय सीमा छह महीने थी, लेकिन तीन साल बाद भी इसका काम अधूरा है। जबकि ज्वालापुरी और मादीपुर अस्पताल में बिना किसी अधिकृत स्वीकृति के अतिरिक्त निर्माण कार्य किए गए। इसके बावजूद मादीपुर अस्पताल अभी भी अधूरा और बंद पड़ा है। एसीबी की जांच में ये भी सामने आया कि LNJP अस्पताल का न्यू ब्लॉक परियोजना की लागत पहले 488 करोड़ रुपये थी। बाद में ये 1,135 करोड़ पहुंच गई और चार साल बाद भी निर्माण अधूरा है। जबकि पॉलीक्लिनिक परियोजना के तहत 94 में से केवल 52 क्लीनिक बन सके। इनकी लागत भी 168 करोड़ से बढ़कर 220 करोड़ हो गई। कई क्लीनिक अब भी काम नहीं कर रहे। इसके अलावा 7 ICU अस्पताल M/s Sam India Buildwell को दिया गया था। इन अस्पतालों की लागत में 100% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, लेकिन निर्माण अभी भी पूरा नहीं हुआ है।
HIMS लागू न होने पर भी उठे सवाल
दिल्ली सरकार की ओर से 2016-17 में घोषित हेल्थ इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (HIMS) अब तक लागू नहीं किया गया है। जबकि केंद्र सरकार की NIC की e-Hospital सेवा निःशुल्क उपलब्ध थी। जिसे बिना किसी वैध कारण के ठुकरा दिया गया। ACB की जांच में सामने आया कि परियोजनाओं की निविदा शर्तों, निर्माण मानकों और वित्तीय अनुशासन का गंभीर उल्लंघन हुआ। जानबूझकर परियोजनाओं में देरी की गई, लागत बेतहाशा बढ़ाई गई और निष्क्रिय परिसंपत्तियों (Non-Functional Assets) का निर्माण हुआ। इन सभी तथ्यों के आधार पर दिल्ली सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17A के तहत कार्यवाही शुरू की गई है।
अब जानिए गुजरात से जुड़ा पूरा मामला
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद विसावदर (गुजरात) और लुधियाना पश्चिम (पंजाब) में मिली जीत से आम आदमी पार्टी को राहत और नई उम्मीद मिली थी। गोपाल इटालिया और संजीव अरोड़ा की जीत ने पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ाया। खासकर जब आने वाले समय में गुजरात और पंजाब में चुनाव होने हैं, लेकिन इस जीत को उस समय ठेस लगी। जब विधायक उमेश मकवाना ने इस्तीफा देकर पार्टी को झटका दे दिया। उन्होंने खुद को सिर्फ एक कार्यकर्ता बताकर पद छोड़ने की बात कही, लेकिन पार्टी ने उनके इस कदम को स्वीकार न करते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। दरअसल, गुजरात की बोटाद विधानसभा सीट से AAP विधायक उमेश मकवाना ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद पार्टी ने कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें पांच साल के लिए निलंबित कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने मकवाना पर पार्टी विरोधी और गुजरात विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। यह जानकारी पार्टी के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष ईशुदान गढ़वी ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी, जिसमें उन्होंने मकवाना को पार्टी से पांच साल के लिए निलंबित करने की घोषणा की।