रविवार को AAP नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान पर तीखा हमला बोला है। दरअसल, राजस्थान के बीकानेर की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था “मोदी का दिमाग ठंडा रहता है, लेकिन लहू गर्म होता है। अब तो मेरी नसों में सिंदूर बह रहा है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इसी बयान पर AAP नेता संजय सिंह ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री अब सिंदूर की मार्केटिंग कर रहे हैं और इसे राजनीतिक प्रचार का साधन बना रहे हैं।
पीएम की नसों में सिंदूर नहीं, नौटंकी बह रही
रविवार को मीडिया से बातचीत करते हुए संजय सिंह ने कहा “प्रधानमंत्री अब ऑपरेशन सिंदूर को बेच रहे हैं। वह इसके नाम पर वोट मांग रहे हैं। मैं तो कहूंगा कि उनकी नसों में नौटंकी बह रही है।” इस दौरान संजय सिंह ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी सेना के अभियान का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। आप सांसद ने तंज कसते हुए कहा कि मोदी जी अब नए अवतार में आ गए हैं। उन्होंने सेना की वर्दी पहन ली, चश्मा लगा लिया। हाथ में हेलमेट भी ले लिया। संजय सिंह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री सिर्फ प्रचार कर रहे हैं, न कि असल मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं। संजय सिंह ने पीएम मोदी से सवाल पूछते हुए कहा “आप क्या हैं मोदी जी? ब्रिगेडियर, कर्नल या सेना अध्यक्ष? मोदी जी आपने तो कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है और हमारी बहनों के जिनके माथे के सिंदूर उजाड़े गए वो चार खूंखार आतंकी कहां हैं। अब तक तो कोई कार्रवाई नहीं हुई है।”
खूंखार आरोपियों को लेकर पूछा सवाल
संजय सिंह ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए आगे कहा “एक फिल्म आई थी, दिलीप कुमार की सौदागर। प्रधानमंत्री जी ने नई फिल्म रिलीज की है- सिंदूर के सौदागर।” उन्होंने कहा कि सेना की बहादुरी और शहादत को किसी भी सूरत में वोट की राजनीति में शामिल करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री खुद कह चुके हैं कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है तो फिर अभी तक उन चार खूंखार आतंकियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई, जिन्होंने हमारे सैनिकों पर हमला किया?
संसदीय प्रक्रिया पर भी उठाया सवाल
संजय सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी देश की लोकतांत्रिक परंपराओं की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री सऊदी अरब की यात्रा से लौटे तो उन्होंने सर्वदलीय बैठक में भाग नहीं लिया, बल्कि सीधे चुनावी रैलियों में व्यस्त हो गए। “वो बिहार में रैलियां कर रहे हैं, फिल्मी सितारों को संबोधित कर रहे हैं, और आंध्र-केरल में मंचों पर हंसी-मजाक कर रहे हैं। ऐसे प्रधानमंत्री से यह उम्मीद करना कि वे फिर से संसद सत्र बुलाएंगे या सर्वदलीय बैठक करेंगे, यह हमारी भूल है।”