इसके साथ उसमें जरूरी संशोधन की उसे लोकसभा और राज्यसभा की प्रक्रिया के अनुरूप बनाया जाएगा। विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि यह बदलाव एनसीटी दिल्ली अधिनियम 2023 (संशोधित) के अनुसार किया जाएगा। इसके साथ ही विधानसभा की भाषा को सरल बनाते हुए लैंगिक-निरपेक्ष शब्दों के उपयोग को बढ़ावा भी दिया जाएगा। ताकि विधानसभा की कार्यप्रणाली अधिक समावेशी, स्पष्ट और समानता वाली बन सके।
दिल्ली विधानसभा ने बताया नियमों में बदलाव का कारण
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने स्पष्ट किया कि संशोधन सदन के नियमित कामकाज को प्रभावित नहीं करता है या विधानसभा समितियों को प्रतिबंधित नहीं करता है। इस बदलाव का उद्देश्य विधानसभा के नियमों की व्याख्या में कन्फ्यूजन को दूर करना है। विजेंद्र गुप्ता ने कहा, “विशेषाधिकार समिति और याचिका समिति अभी भी अधिकारियों को बुला सकती है और शिकायतों पर उनसे सवाल कर सकती है। वे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट की जांच कर सकते हैं, लेकिन नियमित कार्यकारी मामलों के लिए अधिकारियों को नहीं बुला सकते हैं। जैसा कि पिछली सरकार अक्सर करती थी।” विजेंद्र गुप्ता ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा “दिल्ली विधानसभा नियमावली में नियम 280 अस्पष्ट है। इसके चलते कभी-कभी “निहित स्वार्थों” के लिए इसका दुरुपयोग किया जाता है। इसलिए इसका संशोधन जरूरी है। हम विधानसभा नियमावली के नियमों को लैंगिक-निरपेक्ष बनाएंगे। इसके साथ ही नियमावली की भाषा को सरल बनाएंगे और उन्हें संसदीय नियमों के साथ संरेखित करेंगे। इसके लिए विधानसभा ने दो नई समितियों का भी गठन किया है। इसमें पहली समिति वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए है। जबकि दूसरी समिति ट्रांस-जेंडर और विकलांग व्यक्तियों के कल्याण पर के लिए नियमों का मसौदा तैयार कर रही है।
आम आदमी पार्टी ने किया पलटवार
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के इस बयान पर आम आदमी पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। AAP ने कहा “यह अजीब है कि जिस व्यक्ति ने पिछले 10 वर्षों के दौरान दिल्ली विधानसभा को बाधित किया, वह अब दूसरों पर उंगली उठा रहा है।” इससे पहले दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने पिछले महीने स्पीकर को एक पत्र भी लिखा था। जिसमें उन्होंने सीएजी की तीन रिपोर्टों की पीएसी द्वारा जांच करने पर चिंता जताई थी। इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, शराब आपूर्ति और वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण-के संदर्भ की रिपोर्ट शामिल है। आतिशी ने अपने पत्र में कहा था “जीएनसीटीडी अधिनियम में संशोधन के बाद विधानसभा ऐसा कोई नियम नहीं बना सकती, जिससे वह खुद या अपनी समितियों को राजधानी के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन पर विचार करने या प्रशासनिक निर्णयों के संबंध में जांच करने में सक्षम बनाए।”
100 दिन का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही दिल्ली विधानसभा
दरअसल, दिल्ली में आठवीं विधानसभा के कामकाज के 100 दिन चार जून को पूरे होने जा रहे हैं। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष के अनुसार, दिल्ली विधानसभा के कामकाज के इन 100 दिनों की उपलब्धियों को चिह्नित करने के लिए एक विशेष रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा रहा है। इसमें विधानसभा के पहले 100 दिनों की प्रमुख उपलब्धियां, निर्णय और सुधारों पर फोकस किया जाएगा। दिल्ली विधानसभा का यह रिपोर्ट कार्ड प्रकाशन पारदर्शिता, जवाबदेही और सुधारवादी शासन के प्रति विधानसभा की प्रतिबद्धता बताएगा। विजेंद्र गुप्ता ने यह भी बताया कि दिल्ली में भाजपा सरकार गठन के बाद अब तक सदन में दो सत्र पूर्ण रूप से आयोजित किए जा चुके हैं। जबकि आम आदमी पार्टी की सरकार में हर साल सिर्फ एक सत्र आयोजित किया जाता था। विजेंद्र गुप्ता ने कहा “हमने अपने 100 दिन के कार्यकाल में कुल 12 बैठकें कीं। इन बैठकों में 46 घंटे 16 मिनट तक कार्य किया गया। जो पिछले 25 सालों में सबसे ज्यादा है। कई बाद ऐसा मौका भी आया, जब दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही शाम सात बजे तक चली।”