वकील ने जातिगत पूर्वाग्रह का आरोप लगाया
जस्टिस स्वामीनाथन के ऐसा करने के पीछे एक पुराना विवाद सामने आया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब वकील एस वंचिनाथन ने कुछ मीडिया इंटरव्यू और सोशल मीडिया पोस्ट्स में जस्टिस स्वामीनाथन पर ब्राह्मण समुदाय से जुड़े वकीलों का पक्ष लेने और अनुसूचित जाति समुदाय के वकीलों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था।
वकील को जारी हुआ था नोटिस
इसके बाद अदालत ने 24 जुलाई को वंचिनाथन को समन जारी कर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। सोमवार को अदालत में पेश हुए वंचिनाथन से पूछा गया कि क्या आप अब भी यह आरोप दोहराते हैं कि पीठ में से एक जज जातिगत पूर्वाग्रह के साथ न्यायिक कार्य करते हैं?
वकील ने कोर्ट से सवाल लिखित में देने की मांग की
इस पर वकील ने जवाब देने से इनकार किया और अदालत से सवाल लिखित में देने की मांग की। कोर्ट ने उन्हें एक प्रश्नावली सौंपी और सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई तय की, लेकिन सोमवार को ही पीठ ने यह कहकर खुद को मामले से अलग कर लिया कि यह मामला अब मुख्य न्यायाधीश के विवेक पर छोड़ा जा रहा है।
जज बोले-वकील 4 साल से उनकी गलत इमेज बना रहे
सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वामीनाथन ने तीखी टिप्पणी की-‘आप 4 साल से मेरी छवि धूमिल कर रहे हैं। हम मूर्ख नहीं हैं। न्यायिक स्वतंत्रता सर्वोपरि है।’ उन्होंने वंचिनाथन को ‘कॉमेडी पीस’ तक कह डाला और कहा कि जो लोग खुद को क्रांतिकारी समझते हैं, वे हास्यास्पद बन चुके हैं। हालांकि अदालत ने आधिकारिक तौर पर अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं की है। इसके बाद वंचिनाथन के समर्थन में कई वकीलों ने प्रदर्शन किया और अवमानना का मामला रद्द करने की मांग की।