scriptVote Chori: एक बार फिर सवालों के घेरे में ममता सरकार! पश्चिम बंगाल में 100 से अधिक बूथों की वोटर लिस्ट गायब | Vote Chori: Mamata government under question once again! Voter lists of more than 100 booths missing in West Bengal | Patrika News
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Vote Chori: एक बार फिर सवालों के घेरे में ममता सरकार! पश्चिम बंगाल में 100 से अधिक बूथों की वोटर लिस्ट गायब

पश्चिम बंगाल में 2002 के बाद से विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) नहीं हुआ है, जिससे लगभग 100 मतदान केंद्रों की मतदाता सूची के रिकॉर्ड अनुपलब्ध हैं। इस जानकारी से खलबली मच गई है और सीएम ममता बनर्जी की सरकार सवालों के घेरे में है

कोलकाताAug 13, 2025 / 02:38 pm

Mukul Kumar

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी। फोटो- IANS

भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने आखिरी बार पश्चिम बंगाल में साल 2002 के दौरान विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) किया था। इसके बाद से वहां के लगभग सौ मतदान केंद्रों की मतदाता सूचियों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं। नई जानकारी सामने आते ही खलबली मच गई है। इसके साथ, सीएम ममता बनर्जी की सरकार भी सवालों के घेरे में आ गई है।

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इस साल आयोग एसआईआर करने के लिए 2022 की सूची को आधार मान रहा है। पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि यह मामला चुनाव आयोग के संज्ञान में लाया जाएगा। इसके साथ नए एसआईआर के आधार के रूप में 2003 की मसौदा मतदाता सूची के इस्तेमाल की अनुमति मांगी जाएगी।

कई मतदाता सूचियां बुरी तरह से क्षतिग्रस्त

सूत्रों ने जानकारी दी कि पश्चिम बंगाल में कुछ मतदान केंद्रों पर 2002 के बाद के एसआईआर रिकॉर्ड बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं हैं। कुछ मामलों में, मतदाता सूचियां इस तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं कि उन्हें आयोग के सर्वर पर अपलोड करना संभव नहीं है।
पता चला है कि जिन मतदान केंद्रों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं, उनमें से ज्यादातर दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, उत्तर 24 परगना और बीरभूम जिलों के हैं।

यह जिले सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के गढ़ माने जाते हैं। टीएमसी यहां की ज्यादातर सीटों पर जीत दर्ज करती है।

बंगाल सरकार और चुनाव आयोग आमने सामने

यह जानकारी ऐसे समाय में सामने आई है, जब पश्चिम बंगाल के दो विधानसभा क्षेत्रों में तैनात चार चुनाव अधिकारियों को आयोग ने निलंबित कर दिया है। इस कार्रवाई को लेकर चुनाव आयोग और राज्य सरकार आमने-सामने हैं।
बताया जा रहा है कि इन दोनों सीटों की मतदाता सूची में गलत तरीके से नाम जोड़ने का मामला सामने आया था, जिसकी वजह से चारों अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया।

इस हफ्ते की शुरुआत में ममता सरकार ने चारों अधिकारियों का बचाव करते हुए कहा था कि वह फिलहाल उन चुनाव अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश का पालन नहीं करेगी।
इसको लेकर आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को बुधवार शाम 5 बजे तक दिल्ली स्थित चुनाव आयोग मुख्यालय में तलब किया है। अब सबकी निगाहें पंत और चुनाव आयोग के अधिकारियों के बीच होने वाली बैठक के नतीजों पर टिकी हैं।

ममता बनर्जी ने कहा- नहीं होगी अधिकारियों पर कार्रवाई

चारों चुनाव अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर विवाद तब शुरू हुआ, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आयोग के आदेश को चुनौती दी थी।
उन्होंने खुलकर कह दिया कि चारों अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि वे सभी राज्य सरकार के कर्मचारी हैं।

इन चारों चुनाव अधिकारियों पर आरोप यह है कि उन्होंने न केवल आवेदनों का निपटारा करते समय ईआरओ और एईआरओ के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया, बल्कि चुनाव पंजीकरण डेटाबेस के लॉगिन क्रेडेंशियल अनधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा करके डेटा सुरक्षा नीति का भी उल्लंघन किया।

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