याचिकाकर्ता के वकील ने दी ये दलील
Supreme Court questions plea on Rohingya deportation: सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि बिना विश्वसनीय सबूत के वे कोई दखल नहीं करेंगे। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कोलिन गोंजाल्वेज ने कहा कि शरणार्थियों को अंडमान ले जाकर समुद्र में छोड़ने के फोन कॉल आए हैं और सोशल मीडिया और विदेशी मीडिया पर विश्वसनीय रिपोर्टें हैं। उन्होंने इस मामले में जांच का निर्देश देने की मांग की। कोर्ट ने कहा कि रेकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है इसलिए दखल नहीं दे सकते। सोशल मीडिया की सामग्री से याचिका नहीं
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह मुद्दा किसी अन्य देश में उठा होगा, हमें नहीं पता कि उनके पास क्या सामग्री थी। अगर सबूत है तो हम मानवाधिकार मुद्दों पर भी आदेश दे सकते हैं लेकिन हर दिन आप सोशल मीडिया से सामग्री एकत्र नहीं कर सकते और याचिका दायर नहीं कर सकते। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (16 मई, 2025) को उन याचिकाकर्ताओं की आलोचना की, जिन्होंने दावा किया था कि महिलाओं और बच्चों सहित 43
रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के लिए अंडमान सागर में छोड़ दिया गया था।