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बाजरा उत्पादन में राजस्थान नंबर वन, मगर उत्पाद और कमाई में पीछे

राजस्थान भारत का सबसे बड़ा बाजरा (पर्ल मिलेट) उत्पादक राज्य है, जो वर्ष 2024 में 95.31 लाख टन उत्पादन के साथ राष्ट्रीय उत्पादन का 44.91% हिस्सा देता है।

भारतJul 28, 2025 / 02:49 pm

Ashib Khan

बाजरा उत्पाद में राजस्थान नंवर वन (Photo-IANS)

भारत वैश्विक स्तर पर बाजरा (पर्ल मिलेट) उत्पादन में अग्रणी देश है और भारत के बाजरा उत्पादक राज्यों में राजस्थान पहले नंबर पर आता है। वर्ष 2024 में देश में करीब लगभग 2.12 करोड़ टन बाजरे का उत्पादन हुआ, जिसमें अकेले राजस्थान का योगदान 95.31 लाख टन (44.91%) रहा। जब बात प्रोसेसिंग की और कमाई की आती है, तो राजस्थान दूसरे राज्यों से पीछे नजर आता है। राजस्थान के जयपुर, नागौर, अलवर, बाड़मेर और जोधपुर जैसे जिले बाजरा उत्पादन में अग्रणी हैं, परंतु प्रोसेसिंग यूनिट्स की भारी कमी के कारण मुनाफा देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य — कर्नाटक, महाराष्ट्र, और गुजरात — कमा रहे हैं, जिन्होंने न केवल बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट्स खड़ी की हैं, बल्कि बाजरे से कुकीज, बर्गर पैटी, बिस्किट, हेल्थ ड्रिंक, बेबी फूड और पॉपकॉर्न जैसे उत्पाद भी बना रहे हैं। इस तरह वर्ष 2024 में दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों ने 3,500 करोड़ रुपए का बाजार खड़ा किया, जबकि राजस्थान जैसे बड़े बाजरा उत्पादक राज्य को एमएसपी आधारित बिक्री से मिले 2,000 करोड़ रुपए से ही संतोष करना पड़ा।

निर्यात और वैश्विक उत्पाद

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के अनुसार, भारत ने वर्ष 2023 में 1.69 लाख टन बाजरा निर्यात किया, जिसका मूल्य 608.12 करोड़ रुपए (75.46 मिलियन डॉलर) था। राजस्थान का योगदान इसमें 50% (लगभग 304 करोड़ रुपए) था।

किस देश में कितना निर्यात और बनने वाले उत्पाद

देश – निर्यात (टन) – बनने वाले उत्पाद

यूएई- 30,000 – बिस्किट और ग्लूटेन-फ्री ब्रेड

सऊदी अरब – 25,000 – दलिया और बेबी फूड
यूरोप (जर्मनी, यूके) – 20,000 – हेल्थ शेक और स्नैक्स

चीन – 15,000 – न्यूट्री-बार और प्रोटीन शेक

नाइजीरिया, सूडान – 10,000 – पारंपरिक पॉरिज (उगाली)

किस देश में कौन से उत्पाद चर्चित

– यूरोप में बाजरा ग्लूटेन-फ्री बेकरी उत्पादों (कुकीज, ब्रेड) और सुपरफूड स्मूदी में इस्तेमाल होता है, जो 5-10 डॉलर/किलो बिकते हैं।
– सऊदी अरब में बाजरे से बेबी फूड और हेल्थ ड्रिंक्स बनाया जाता है, जिसकी मांग 20% बढ़ी।

दुनिया भर में बाजरे से बने नए उत्पाद

ग्लूटेन-फ्री पास्ता : इटली और यूएसए में 8 डॉलर/किलो
बाजरा बर्गर पैटी : यूरोप में वीगन डाइट में लोकप्रिय

प्रोटीन बार : कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में 3 डॉलर/बार

बाजरा बियर : जर्मनी में अल्कोहलिक पेय, 4 डॉलर/बोतल

इंस्टेंट पॉरिज मिक्स : अफ्रीका में 2 डॉलर/पैक।

प्रोसेसिंग यूनिट्स की चुनौतियां

– बुनियादी ढांचे की कमी : जयपुर और जोधपुर में बिजली की लागत (7-8 रुपए/यूनिट) और पानी की कमी प्रोसेसिंग को महंगा बनाती है।

– निवेश की कमी : राइजिंग राजस्थान 2024 में 10,000 करोड़ रुपए के एमओयू साइन हुए, लेकिन केवल 15% लागू हुए।
– किसानों की अक्षमता : छोटे किसान (70% के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन) के पास पूंजी और तकनीकी ज्ञान की कमी है।

– बाजार पहुंच : स्थानीय मांग कम होने और वैश्विक मानकों के लिए प्रमाणन की कमी से यूनिट्स स्थापित करना मुश्किल है।
– कच्चे माल का निर्यात : राजस्थान से 5 लाख टन बाजरा कर्नाटक और महाराष्ट्र जाता है, जिससे स्थानीय प्रोसेसिंग सीमित होती है।

किसानों की चुनौतियां

– वित्तीय बाधाएं : बैंक लोन के लिए 30% मार्जिन मनी और जटिल प्रक्रिया के चलते किसान छोटी प्रोसेसिंग यूनिट्स नहीं लगा पा रहे।
– प्रशिक्षण की कमी : केवल 10% किसानों को फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) के माध्यम से प्रशिक्षण मिला।

– किसानों को पैसों का संकट : एक छोटी यूनिट (50 टन/दिन) की लागत 2-3 करोड़ रुपए है, जो छोटे किसानों के लिए असंभव है।

कैस लगें प्रोसेसिंग यूनिट्स

– सरकारी सहायता : राजस्थान सरकार को एफपीओ को 50% सब्सिडी और सौर ऊर्जा परियोजनाओं (142 गीगा वाटा क्षमता) से बिजली आपूर्ति बढ़ानी चाहिए।

– प्रशिक्षण और प्रमाणन : एपीईडीए और एफएसएसएआई के सहयोग से एचएसीसीपी औरआईएसओ प्रशिक्षण केंद्र जयपुर और बाड़मेर में स्थापित हों।
– स्पाइस पार्क मॉडल : तमिलनाडु की तर्ज पर बाड़मेर और नागौर में बाजरा प्रोसेसिंग पार्क बनाए जाएं।

– निजी निवेश : एफएमसीजी सेक्टर की कंपनियों, जैसे आइटीसी, पतंजलि और बैगरीज, के साथ साझेदारी से मूल्यवर्धित उत्पादों को बढ़ावा मिले।

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