मानसिक रूप से टूटते कैदी हो जाते हैं शिकार
जेलों के हालात का विश्लेषण करने पर अफसरों को पता चला कि ऐसे सामान्य कैदी, जिनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं होता, वे जेल में जाने पर मानसिक रूप से टूट जाते हैं। ऐसे में जेल में पहले से मौजूद आपराधिक इतिहास वाले खतरनाक कैदी उन्हें अपने चंगुल में ले लेते हैं। ब्रेनवॉश कर उन्हें खतरनाक बना देते हैं। जिससे कई बार जेलों में हिंसक घटनाएं भी हो जाती हैं।
कैदियों की स्क्रीनिंग करने के निर्देश
गृह मंत्रालय ने कैदियों के उग्र व्यवहार को रोकने के लिए कई स्तर से कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। कैदियों के व्यवहार के आधार पर उनकी स्क्रीनिंग कर निगरानी करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि जेलों में सामाजिक अलगाव और निगरानी की कमी से खतरनाक कैदी आम कैदियों को भड़ककर उन्हें भी उग्र और कट्टर बनाते हैं। कुछ मामलों में कैदी, जेल कर्मचारियों, अन्य कैदियों और बाहर के लोगों पर हमला करने की योजना बनाते हैं। इससे जेलों की आंतरिक व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती खड़ी होती है।
परिवार से मिलने दें
पत्र में यह भी निर्देश दिया गया है कि नियमानुसार जेल में कैदियों को परिवार से संपर्क बनाने में सहयोग करें। परिवार से मिलने पर जेल में अलग-थलग रहने पर भी आम कैदियों का मानसिक संतुलन ठीक रहेगा। स्क्रीनिंग में मानसिक, सामाजिक और स्वास्थ्य का मूल्यांकन होगा।