उल्लेखनीय है कि पं. मधुसूदन ओझा वेदाध्ययन की वेदविज्ञान विद्या के प्रणेता है। जयपुर उनकी कर्मभूमि रहा है जहां उन्होंने अनेक ग्रंथों की संस्कृत में रचना की। गुलाब कोठारी उसी वेदविज्ञान परम्परा के अध्येता है। इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वानों ने शोधपत्र पढ़े। इनमें प्रो. जी शंकरनारायण, डॉ. नागराज, डॉ. लीनाचन्द्रा एवं डॉ. बुल्ति दास प्रमुख है। विद्वानों ने शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, व्यास आदि आचार्यों की भाष्य परम्परा पर आधारित विभिन्न ग्रंथों की विवेचना करते हुए उनकी उपादेयता पर रोशनी डाली।
राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति की ओडिशा पीठ के निदेशक डॉ. ज्ञानरंजन पंडा ने प्रस्ताव रखा कि गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘गीता विज्ञान उपनिषद्’ पर उनके विद्यार्थियों की ओर से पीएच.डी. स्तर के शोध का कार्य भी होना चाहिए, जिसको समस्त एकत्रित विद्वान आचार्यों की ओर से सहमति भी प्रदान की गई। अन्त में कोठारी ने देशभर से आए आचार्यों को प्रमाणपत्र तथा स्मृति चिह्न प्रदान किए। डॉ. बुल्तिदास ने कार्यक्रम का संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापित किया।