हादसे के समय काफी श्रद्धालु थे मौजूद
किश्तवाड़ शहर से करीब 90 किमी दूर चशोती गांव मचेल माता मंदिर मार्ग पर है और इसे श्रद्धालु बेस कैंप की तरह इस्तेमाल करते हैं। साढ़े नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर जाने के लिए यहां से 8.5 किमी की पैदल चढ़ाई शुरू होती है। हादसे के वक्त बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां टैंटों में रुके हुए थे, कुछ रास्तों में थे। बादल फटने के बाद अचानक आए सैलाब ने लोगों को संभलने का मौका ही नहीं दिया। चशोती की तस्वीरें देख लग रहा है, जैसे किसी ने धरती चीर दी हो। दूर-दूर तक मलबा फैला है, जिसमें गाड़ी, बाइक, घर, दुकान हर जगह तबाही के मंजर दिख रहे हैं।
वार्षिक भादूं मेले में जुट रहे थे श्रद्धालु
किश्तवाड़ प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार पद्दार घाटी का मचैल गांव ’चंडी माता’ के मंदिर के बड़ा धार्मिक स्थल है। हर साल पहली भादों या भादूं संक्रांति को (15-16 अगस्त के आसपास) जब मंदिरों के कपाट खुलते हैं तो मचैल स्थित चंडी माता मंदिर पर बड़ा मेला लगता है, जहां पद्दार और आसपास के लोग देवी की पूजा करते हैं। दिल्ली में भारी बारिश, ३ की मौत: राजधानी दिल्ली में भी दो दिन से जारी भारी बारिश से सड़कें दरिया बन गईं। कई जगह सड़कों पर तीन फीट तक पानी भर गया। वसंत विहार इलाके में दीवार गिरने से दो बच्चों की, जबकि कालकाजी में पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई।
हिमाचल प्रदेश में पांच जगह बादल फटे
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और शिमला में बुधवार शाम को पांच जगह बादल फटे। किन्नौर के पूह में बादल फटने से सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ गया, कुल्लू के पलचान, तीर्थन घाटी, बंजार के बठाहड़ और शिमला के फाचा के नांटी-काशापाठ में बादल फटने से बाढ़ आ गई। अचानक आई बाढ़ के बाद अफरा-तफरी मच गई।