11 जुलाई को एक्टिव मिला था चीनी सैटेलाइट फोन
11 जुलाई को सेना को बैसरन घाटी में चीनी सैटेलाइट फोन के एक्टिव होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस, CRPF और सेना ने सर्च अभियान शुरू किया। स्थानीय लोगों से मिली जानकारी और खुफिया इनपुट के आधार पर उनके इलाके में होने का पता चला। 26 जुलाई को सेना को नई कम्युनिकेशन एक्टिविटी का पता चला। इसके बाद इलाके में सर्च अभियान तेज कर दिया गया। सर्च अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को पता चला कि कम्युनिकेशन डिवाइस का यूजर पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा था। इसके बाद 28 जुलाई को सुबह 11.30 बजे राष्ट्रीय राइफल्स और 4 पैरा की ज्वाइंट टीम ने 3 आतंकियों का पता लगाया।
बताया जाता है कि यह मुठभेड़ सुनियोजित नहीं थी, बल्कि संयोग से हुई। सुरक्षा बल सर्च अभियान के दौरान जब आतंकियों के नजदीक पहुंचे तब वह झपकी ले रहे थे। 4 पैरा के जवानों ने आतंकवादियों को देखा तो वह एक तंबू के अंदर आराम की मुद्रा में लेटे हुए थे। इसके बाद जवानों मोर्चा संभालते हुए बिना देर किए तीनों आतंकियों को मार गिराया।
क्यों ‘महादेव’ रखा गया कोड नेम?
सुरक्षा बलों ने ‘ऑपरेशन महादेव’ श्रीनगर के पास स्थित महादेव पीक के नाम पर रखा। यह जबरवान रेंज की एक प्रमुख और पर्वट चोटी है। यह चोटी सामरिक रूप से अहम है। यहां से लिडवास और मुलनार जैसे इलाके साफ तौर पर दिखाई देते हैं। स्थानीय लोगों की आस्था होने के कारण भी इसका नाम प्रतीकात्मक रूप से चुना गया।