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सांप कांटने पर मां को पीठ पर लादकर पांच किलोमीटर चली लड़की, लेकिन फिर भी…

ओडिशा के कंधमाल जिले में एक महिला को सांप कांटने पर उसकी बेटी को उसे पांच किलोमिटर तक पीठ पर लादकर जंगलों के रास्ते चलना पड़ा क्योंकि उनके गांव में रोड़ नहीं होने की वजह से एम्बुलेंस नहीं आ पाई थी।

भारतAug 02, 2025 / 05:15 pm

Himadri Joshi

मां को पीठ पर लादकर ले जाती हुई रजनी

मां को पीठ पर लादकर ले जाती हुई रजनी ( फोटो – एक्स पोस्ट )

ओडिशा के कंधमाल जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां, एक लड़की की मां को सांप काट गया जिसके बाद इलाज के लिए उसे अपनी मां को पांच किलोमिटर पीठ पर लादकर चलना पड़ा। जानकारी के मुताबिक इस इलाके में सड़कों की कमी है जिसके चलते मेडिकल सहायता पाने के लिए लड़की को अपनी मां को जंगल के रास्ते ले जाना पड़ा। मां बालामाडू माझी को बचाने के लिए रजनी माझी ने एक लंबा रास्ता तय किया लेकिन फिर भी वह समय से अपनी मां को अस्पताल नहीं पहुंचा पाई जिसके चलते उनकी मौत हो गई।

सड़क नहीं होने के चलते गांव तक नहीं पहुंची एम्बुलेंस

सूत्रों के मुताबिक, यह घटना जिले के तुमडिबंध ब्लॉक के मुंडिगाड़ा पंचायत के डुमेरिपाड़ा गांव में हुई है। बालमाडु माझी को शुक्रवार रात को सोते समय एक सांप ने काट लिया था। जिसके बाद तुरंत परिवार ने एम्बुलेंस बुलाई, जो कि उनके घर से आठ किलोमीटर दूर सरमुंडी तक पहुंच गई थी, लेकिन सड़क नहीं होने के चलते उनके गांव तक नहीं आ पाई। इसके बाद कोई विकल्प नहीं होने के चलते रजनी ने खुद से अपनी मां को एम्बुलेंस तक पहुंचाने का फैसला लिया।

पीठ पर मां को लादकर एम्बुलेंस तक पैदल चली रजनी

रजनी ने अपनी मां को पीठ पर लादा और वह उबड़-खाबड़ जंगली रास्ते से होते हुए पांच किलोमिटर तक पैदल चलती रही। इसके बाद आगे के तीन किलोमिटर उसने एक बाइक की मदद से तय किए और अपनी मां को एम्बुलेंस तक पहुंचाया। इसके बाद बालामाडू को सबसे पहले तुमडीबांध स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया और बाद में बालिगुडा उप-मंडलीय अस्पताल (एसडीएच) में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पोस्टमार्टम के बाद खाट पर शव को लेकर गया परिवार

पोस्टमार्टम के बाद, परिवार को एक खाट पर बालिगुडा के शव को अपने घर ले जाना पड़ा। मृतका के परिवार और गांव वालों ने खराब सड़कों और समय पर इलाज न मिल पाने को उसकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। बालिगुडा के रजनी के अलावा तीन भाई थे। परिवार ने बताया कि बालिगुडा के पति की मौत भी इसी तरह हुई थी। इस घटना ने आदिवासी समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है, और उपेक्षित आदिवासी क्षेत्रों में तत्काल बुनियादी ढांचे के विकास की नई मांगें उठाई गई हैं।

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