शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार में क्रांतिकारी बदलाव
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हर क्षेत्र में बदलाव की बयार बही है।
- सुरक्षा: 2020 तक 1458 पत्थरबाजी की घटनाएं दर्ज थीं, लेकिन इसके बाद ऐसी कोई घटना नहीं हुई। यह शांति और स्थिरता का प्रतीक है।
- लोकतंत्र: पिछले साल जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में 65% से अधिक मतदान हुआ, जो पहले की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।
- रेल नेटवर्क: पहले कटरा तक सीमित रेल अब उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला तक विस्तारित हो चुकी है। चिनाब ब्रिज ने घाटी को देश से जोड़ा।
- स्वास्थ्य: 2019 तक केवल छह मेडिकल कॉलेज थे, अब 12 हैं। करीब 80 लाख लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही है।
- पर्यटन: आतंक के साये में सिमटा पर्यटन अब चरम पर है। 2024 में 3.5 करोड़ सैलानियों ने घाटी का रुख किया, जिससे 20 लाख लोगों को रोजगार मिला।
- रोजगार और निवेश: 1.63 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों से 5.9 लाख युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद है। स्वरोजगार योजनाएं आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही हैं।
नया कश्मीर आत्मनिर्भरता और समृद्धि की ओर
जिन हाथों में कभी पत्थर थे, उनमें अब लैपटॉप है। नए मेडिकल कॉलेजों ने स्थानीय छात्रों को MBBS की पढ़ाई के लिए बाहर जाने की जरूरत खत्म की। पर्यटन और निवेश ने घाटी को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया। सांस्कृतिक पुनर्जनन के साथ अमरनाथ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों में रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
आज हो सकता है बड़ा ऐलान?
5 अगस्त की तारीख अब इतिहास में दर्ज है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने और 2020 में अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास जैसे बड़े फैसलों ने इस दिन को ऐतिहासिक बना दिया। अब 2025 में इस तारीख को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात, सोमवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, रॉ और आईबी चीफ के साथ अहम बैठक, और मंगलवार को एनडीए संसदीय दल की बैठक ने अटकलों को हवा दी है।
मिलेगा राज्य का दर्जा?
सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की चर्चा जोरों पर है। सुप्रीम कोर्ट ने भी दिसंबर 2023 में केंद्र को जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश दिया था। फारूक अब्दुल्ला ने भी इस मांग को दोहराया है। क्या यह ऐतिहासिक तारीख एक बार फिर बड़ा बदलाव लाएगी?
सुरक्षा और रणनीति पर जोर
सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने सुरक्षा तैयारियों पर चर्चा की। अनुच्छेद 370 हटने की छठी वर्षगांठ और स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर यह बैठक अहम मानी जा रही है। हाल के महीनों में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले जैसे घटनाक्रमों ने सुरक्षा को और सुदृढ़ करने की जरूरत को रेखांकित किया है।
नया कश्मीर, नई उम्मीदें
जम्मू-कश्मीर अब अतीत को पीछे छोड़ चुका है। आतंकवाद और पत्थरबाजी की जगह शांति और विकास ने ले ली है। क्या 5 अगस्त 2025 को मोदी सरकार एक बार फिर इतिहास रचेगी? देश की निगाहें संसद पर टिकी हैं।