अमरनाथ यात्रा कब से होगी शुरू, सीआरएफ के साथ के-9 भी तैनात, क्या है K-9 की खासियत, सुरक्षा दस्ते में किसको मिलती है जगह?
Amarnath Yatra 2025 की शुरूआत 3 जुलाई से शुरू हो रही है। श्रद्धालुओं का पहला जत्था 2 जुलाई को जम्मू के आधार शिविर से रवाना किया जाएगा। इनकी सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के साथ के-9 दस्ते की तैनाती की गई है।
Amarnath Yatra Starts from 2nd July 2025: अमरनाथ यात्रा 2025 (Amarnath Yatra 2025) की सुरक्षा सुनिश्चित और निर्बाध बनाने के लिए सीआरपीएफ (CRPF) ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पर निगरानी बढ़ा दी है। सीआरपीएफ ने अमरनाथ यात्रा के लिहाज से महत्वपूर्ण राजमार्ग पर अपने कर्मियों के साथ के-9 कुत्तों (K-9 dog) के दस्ते तैनात किए हैं। इस मार्ग के जरिए हजारों तीर्थयात्री अमरनाथ यात्रा करते हैं। इस मार्ग पर उधमपुर सेक्टर जैसा संवेदनशील हिस्सा पड़ता है जिस पर विशेष चाक-चौबंद किया गया है। गौरतलब है कि तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को 2 जुलाई 2025 को जम्मू आधार शिविर से रवाना किया जाएगा, जबकि यात्रा आधिकारिक तौर पर 3 जुलाई को बालटाल और पहलगाम दोनों मार्गों से शुरू होगी। आइए यहां यहां हम समझते हैं कि के-9 दस्ता (K-9 Dog Squads) क्या है और यह हमारी सुरक्षा के लिहाज से कैसे और क्यों महत्वपूर्ण है?
K-9 कुत्ता जिसे पुलिस कुत्ता भी कहा जाता है। के-9 दस्ते में शामिल कुत्तों को विशेष रूप से कानून प्रवर्तन अधिकारियों की सहायता के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इस दस्ते में खास नस्लों के कुत्तों का उपयोग किया जाता है। सुरक्षा दस्तों में जर्मन शेफर्ड (German Shepherds) और बेल्जियन मालिनोइस (Belgian Malinois) नस्ल के कुत्ते सर्वाधिक उपयोग में लाए जाते हैं।
#WATCH | To ensure a safe and seamless #AmarnathYatra2025, the CRPF has intensified surveillance, deployed K-9 (dog) squads alongside its personnel along the vital Jammu-Srinagar National Highway (NH-44)—the key route used by thousands of pilgrims, and strengthened highway… pic.twitter.com/G4CCr2A01d
K-9 को पुलिस कार्य में सहयोग के लिए अपने कौशल और स्वभाव को विकसित करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है। इनकी ट्रेनिंग आमतौर पर कई महीनों तक चलती है।
अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए क्या खास इंतजाम किए गए हैं, आप इस वीडियो को देखकर जान सकते हैं।
इनके अलावे और कौन सी नस्ल इस्तेमाल में आती हैं?
यूं तो जर्मन शेफर्ड (German Shepherds) और बेल्जियन मैलिनोइस (Belgian Malinois) का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है लेकिन ब्लडहाउंड, डच शेफर्ड और लैब्राडोर रिट्रीवर्स जैसे अन्य नस्लों के कुत्तों का भी उनकी विशिष्ट शक्तियों के आधार पर उपयोग किया जाता है।
के-9 में शामिल किन नस्लों की क्या है विशेषता?
जर्मन शेफर्ड नस्ल को दुनिया भर में बुद्धिमत्ता, प्रशिक्षण क्षमता और सुरक्षात्मक प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है जबकि बेल्जियन मैलिनोइस (Belgian Malinois) को उसकी ऊर्जा के साथ बुद्धिमत्ता, एकाग्रता और फुर्ती के लिए जाना जाता है। वहीं ब्लडहाउंड (Bloodhound) नस्ल को उनकी असाधारण गंध पहचानने की क्षमता और ट्रैकिंग के लिए उपयोग किया जाता है। पुलिस में सुरक्षा के लिए डच शेफर्ड का भी काफी महत्व है। इस नस्ल के कुत्ते जर्मन शेफर्ड के समान, बुद्धिमत्ता और वफादारी के लिए जाने जाते हैं। लैब्राडोर रिट्रीवर को खोजी कार्य के लिए अच्छा माना जाता है। इस नस्ल के कुत्ते आसानी से घुलमिल जाने वाले और माहौल को खुशनुमा बनाने में माहिर होते हैं।
पुलिस कार्य में सहयोगी कुत्तों में किन गुणों को होना जरूरी?
– K-9 काम के संदर्भ में दिए गए कमांड्स को जल्दी समझने में सक्षम हों – K-9 को आदेश पालन करने वाला और किसी भी संकेत और विशेष कार्य को अंजाम देने में सक्षम होना चाहिए।
– K-9 में शामिल डॉग्स को शारीरिक रूप से स्वस्थ और ताकतवर होना चाहिए। – इनमें साहस और अपने ट्रेनर के प्रति वफादारी होनी चाहिए। रक्षा कार्यों के लिए मुस्तैदी होनी चाहिए। – इनमें खतरे को भांपने की विशेष क्षमता होनी चाहिए।
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