सामने नहीं आया कारण
सरकार ने सुब्रमण्यन को हटाने के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है, जिससे इस फैसले को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और 9 मई को होने वाली आईएमएफ बोर्ड की समीक्षा बैठक से पहले लिया गया है, जिसमें पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर चर्चा होगी।
IMF की भूमिका
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए
आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई, के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है और इसके जवाब में कई कड़े कदम उठाए हैं, जिसमें सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, पाकिस्तानियों के वीजा रद्द करना और व्यापार पर रोक लगाना शामिल है। ऐसे में भारत सरकार आईएमएफ में
पाकिस्तान को मिलने वाली वित्तीय सहायता पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है। सूत्रों का कहना है कि भारत इस बैठक में आतंकवाद के वित्तपोषण को लेकर अपनी चिंताओं को उठाएगा और पाकिस्तान के खिलाफ नकारात्मक मतदान कर सकता है।
कौन हैं केवी सुब्रमण्यन?
डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन 2018 से 2021 तक भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) रह चुके हैं और इस पद पर नियुक्त होने वाले सबसे युवा व्यक्ति थे। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईएम कलकत्ता से एमबीए और शिकागो यूनिवर्सिटी से वित्तीय अर्थशास्त्र में पीएचडी की है। वह भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की विशेषज्ञ समितियों में भी शामिल रहे हैं।
फैसले के पीछे संभावित कारण
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सुब्रमण्यन ने आईएमएफ के डेटा संग्रहण और रेटिंग सिस्टम पर सवाल उठाए थे, जिससे संगठन के भीतर मतभेद पैदा हुए। इसके अलावा, भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच सरकार की रणनीति में बदलाव को भी इस फैसले से जोड़ा जा रहा है। हालांकि, आईएमएफ ने भारत के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा है कि वह 9 मई को पाकिस्तान के ऋण की समीक्षा अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार करेगा।