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India US Trade Deal: अक्टूबर तक समझौता होना मुश्किल, अमेरिकी टैरिफ से भारत की विकास दर प्रभावित

अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाई गई अनुमान से अधिक टैरिफ भारत के विकास दर को प्रभावित भी कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि अक्टूबर तक भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील होना मुश्किल है। पढ़ें पूरी खबर…

भारतJul 31, 2025 / 10:13 am

Pushpankar Piyush

भारत-अमेरिका ट्रेड डील

भारत-अमेरिका ट्रेड डील (फोटो: IANS)

India US Trade Deal: अमेरिका ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने भारत (India) द्वारा रूस से तेल और हथियार (Russia Oil an Weapons) खरीदने पर टैरिफ और जुर्माना लगाने का ऐलान किया। ट्रंप की टैरिफ लगाने की घोषणा निर्धारित समय सीमा से बमुश्किल एक दिन पहले आई है।

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टैरिफ लगाने के बाद आया ट्रंप का बयान

टैरिफ लगाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान भी आया है। ट्रंप ने कहा कि भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जो सबसे अधिक टैरिफ लगाता है। यही वजह है कि भारत का अमेरिका के साथ व्यापार सीमित रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बातचीत जारी है। देखते हैं आगे क्या होता है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स डॉलर को कमजोर करने के लिए बनाया गया है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।

भारत को हो रहा दो तरीके से नुकसान

भारत को अमेरिकी टैरिफ दो तरीकों से नुकसानदेह स्थिति में पहुंचा रहा है। पहला, यह भारत को अन्य दुनिया के देशों की तुलना में अधिक नुकसानदेह स्थिति में डाल देगा। दूसरा, अमेरिका के साथ जल्द से जल्द समझौता करने के लिए बातचीत की जिम्मेदारी का दवाब अब भारत पर है।

ट्रेड डील में चीन, भारत से आगे

भारत के लिए मुश्किल और बढ़ गई है क्योंकि चीन, अमेरिका के साथ टैरिफ डील में एडवांस स्टेज पर है। लिहाजा उसे टैरिफ में छूट मिलने की संभावना अधिक है। चीन भी ब्रिक्स (BRICS) में शामिल है और वह भारत की ही तरह रूस से तेल आयात करता है। भारत के लिए राहत की बात यह है कि अभी तक ट्रंप प्रशासन ने रूसी तेल और सैन्य हथियारों के आयात पर जुर्माने की दर निर्धारित नहीं की है, लेकिन ट्रंप ने अपने बयानों में कहा कि यह जुर्माना 100 फीसदी तक हो सकता है।

चीन के साथ नहीं हुआ है अंतिम समझौता

चीन ने अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर बातचीत पूरी कर ली है, लेकिन अभी तक दोनों देशों के बीच अंतिम समझौता नहीं हुआ है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत द्वारा लगाए टैरिफ विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप हैं। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने कहा कि भारत कृषि क्षेत्र में अमेरिकी मनमानी न मानकर एकतरफा सौदेबाजी से बच गया है।

भारत का टैरिफ WTO के अनुरूप

थिंक टैंक ने कहा कि भारत का टैरिफ विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है। रियायती रूसी तेल ने वैश्विक अस्थिरता के दौरान भारत में मुद्रास्फीति यानी इनफ्लेशन को नियंत्रित करने में मदद की है। विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ का दवाब भारत सहित दुनिया के 90 से अधिक देश झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच समझौता हो सकता है, लेकिन उचित शर्तों पर।

रूस से तेल खरीदने वाले प्रतिबंध के लिए तैयार रहें

ट्रंप ने बीते सोमवार को मॉस्को के लिए यूक्रेन युद्ध शांति समझौते की दिशा में आगे बढ़ने के लिए अपने तेल खरीददारों पर 100 फीसदी द्वितीयक टैरिफ लगाने की समय सीमा कर दी थी। इस मामले पर अमेरिकी वित्त मंत्रीन स्कॉट बेसेंट ने कहा कि मुझे लगता है कि जो कोई भी प्रतिबंधित रूसी तेल खरीदता है तो उसके लिए तैयार रहना चाहिए।

‘चीन अपनी संप्रभुता को गंभीरता से ले रहा’

बेसेंट ने चीन द्वारा रूस से तेल खरीदने पर कहा कि चीन अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेता है। हम उनकी संप्रभुता में बाधा नहीं डालना चाहते, इसलिए वे 100 प्रतिशत टैरिफ देना चाहेंगे। दरअसल, चीन ने कहा था कि एक संप्रभु राष्ट्र होने के नाते वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आंतरिक नीति के तहत तेल खरीदता रहेगा।

ट्रेड डील दूर की कौड़ी

एक्सपर्ट्स ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बातचीत जिस तरह से आगे बढ़ रही है। उसे देखते हुए लगता है कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील अभी दूर की कौड़ी है। सितंबर महीने से पहले इस डील के होने की संभावना बेहद कम है। उन्होंने कहा कि ट्रेड डील की संभावित समय समय अक्टूबर है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के लिए 25 फीसदी अमेरिकी टैरिफ बुरी खबर है, लेकिन नौकरशाह इस पर पहले से ही विचार कर रहे थे। एक्सपर्ट्स ने कहा कि इस टैरिफ का अर्थ उसी पारस्परिक टैरिफ की तरफ वापस जाना है जो 26 फीसदी था। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह झटका है। भारत का संकल्प होगा कि वह डील पर बातचीत को आगे ले जाए और भारतीय उत्पादों पर रियायती टैरिफ लागू हो। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स शुल्क और जुर्माने के बिना, भारत का 25 फीसदी टैरिफ अन्य देशों की तुलना में कम है। जो ट्रेड डील को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।

भारत अभी अमेरिका-चीन ट्रेड डील पर नजर बनाए हुए है

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अंतरिम समझौता होने के बाद यदि भारत पर अमेरिकी टैरिफ क्रमश: यूके और जापान को दिए गए टैरिफ बिंदुओं के बराबर 10 प्रतिशत और 15 प्रतिशत के बीच रहता है, तो मोदी सरकार इससे संतुष्ट हो सकती है। अगर टैरिफ 15 प्रतिशत से ऊपर चला जाता है और वियतनाम पर लगाए गए 20 फीसदी टैरिफ के पास पहुंच जाता है तो यह लाभ कम होने लगता है। वियतनाम पर लगाए गए ट्रांस शिपमेंट क्लॉज जैसा प्रावधान भारत के लिए समस्या बन सकता है। उन्होंने कहा कि भारत से निर्यात होने वाली अधिकांश सामग्रियों में कुछ मात्रा में चीनी उत्पादों का हिस्सा होता है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि भारत सरकार अभी अमेरिका-चीन ट्रेड पर नजर बनाए हुई है। मोदी सरकार का मानना है कि ट्रंप भारत और चीन के बीच टैरिफ में अंतर बनाए रखेंगे।

नतीजे पर नहीं पहुंची बातचीत

एक्सपर्ट्स ने बताया कि बीते मंगलवार को स्टॉकहोम में अमेरिकी और चीनी अधिकारियों ने ट्रेड डील पर चर्चा की, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। लिहाजा, दोनों तरफ के वार्ताकारों ने कहा कि हम 90-दिवसीय टैरिफ संघर्ष विराम को बढ़ाने पर सहमत हुए हैं, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह विस्तार कब और कितने समय के लिए लागू होगा।

इन सेक्टरों पर पड़ेगा बुरा प्रभाव

अर्थशास्त्रियों ने कहा कि ब्रिक्स टैरिफ के साथ-साथ स्टील और एल्युमीनियम जैसे सेक्टर को अतिरिक्त टैरिफ बुरी तरह प्रभावित करेगी। उन्होंने कहा कि वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ-साथ ट्रंप भारतीय बाजार में भी शून्य शुल्क के साथ पहुंचना चाहते है, जो हमारे लिए एक समस्य है।

उच्च कीमत वाले सामानों पर रियायत देने को तैयार भारत

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार उच्च कीमत वाले सामानों पर रियायत देने को तैयार है। भारत, अमेरिका से तीन बड़ी चीजें खरीदने को तायार हो सकता है। वह हैं, रक्षा उपकरण, प्राकृतिक गैस आयात और परमाणु रिएक्टर। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता वाली वस्तुओं में भारत कोट प्रणाली का पालन करता है। इसके तहत विदेशी सामान क्रमिक तरीके से कई वर्षों में भारतीय बाजार में पहुंचती है। ऐसा ही कुछ समझौता अभी हाल ही में भारत ने यूके के साथ किया है।
एक्सपर्ट ने कहा कि अगस्त के मध्य तक आधिकारिक स्तर की चर्चा समाप्त होने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि इस समझौते पर अंतिम फैसला दोनों नेताओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच बातचीत पर निर्भर करेगा। इस समझौते में ट्रंप ही मुख्य व्यापार वार्ताकार हैं।

किसी तरह हो जाए समझौता

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए सबसे अच्छा यही होगा कि अभी किसी तरह का समझौता हो जाए और फिर 2026 तक चलने वाली भावी वार्ताओं में उस पर आगे बढ़ा जाए। ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ और जुर्माने की घोषणा के बाद यह बातचीत पहले भी हो सकती है।

आगे की राह तलाशने में जुटे भारतीय कारोबारी

उन्होंने कहा कि ट्रंप के रवैये के कारण भारत के निर्यातक आगे की राह तलाशने में जुट गए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में खरीदारों को यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि अंतिम टैरिफ क्या होगा। इसलिए वह ऑर्डर रोक रहे हैं। एक्सपर्ट ने कहा कि अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए उच्च टैरिफ के बाद चीनी निर्माता यूरोप में औने-पौने दाम में सामान बेच रहे हैं। इसका सीधा असर भारत और यूरोपीय संघ के व्यापार पर भी पड़ रहा है।

टैरिफ भारतीय विकास दर को कर सकती है प्रभावित

अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाई गई अनुमान से अधिक टैरिफ भारत के विकास दर को प्रभावित भी कर सकती है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जब अमेरिका ने शुरुआत में टैरिफ लगाए थे, तो हमने वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अपने पूर्वानुमान को घटाकर 6.2% कर दिया था, यह मानते हुए कि निर्यात में मामूली वृद्धि और निजी पूंजीगत व्यय में देरी होगी। अमेरिका द्वारा अब प्रस्तावित टैरिफ (और जुर्माना) हमारे अनुमान से ज्यादा है, और इसलिए यह भारत की जीडीपी वृद्धि के लिए एक बड़ी बाधा बन सकता है।

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