scriptGround Report: बॉर्डर के गांवों में डर नहीं, हौसलों से भरी रातें; बंकरों में गूंजती हैं वीरता की यादें | Ground Report: There is no fear in border villages, nights are full of courage in Jammu Kashmir | Patrika News
राष्ट्रीय

Ground Report: बॉर्डर के गांवों में डर नहीं, हौसलों से भरी रातें; बंकरों में गूंजती हैं वीरता की यादें

Ground Report: ऑपरेशन सिंदूर के बाद जहां घाटी की तरफ अमन की किरण दिखी है, वहीं पाक सीमा से सटे गांवों में लोग अपने जख्मों के साथ नई सोच, तैयारी और देशभक्ति के साथ जीना सीख रहे हैं।

जम्मूJun 24, 2025 / 10:13 am

Shaitan Prajapat

-विकास सिंह
Ground Report:
‘हमने खेत नहीं छोड़े, क्योंकि हमारी मिट्टी ही हमारी ढाल है। गोलीबारी में छतें टूटीं, जानवर मरे, घर खाली हुए- मगर हौसले जिंदा रहे।’ ये शब्द हैं नरसिंह पुरा गांव के अजय कुमार के, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान गांव में घर, पशु और नींद सब खोया, लेकिन देश के प्रति भरोसा नहीं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जहां घाटी की तरफ अमन की किरण दिखी है, वहीं पाक सीमा से सटे गांवों में लोग अपने जख्मों के साथ नई सोच, तैयारी और देशभक्ति के साथ जीना सीख रहे हैं।
गांववालों के चेहरों पर शांति की रेखाएं अब भी डर के धब्बों से उलझी हैं, लेकिन वो मानते हैं- बीएसएफ है, तो भरोसा है। जम्मू के सीमावर्ती गांव- पर्गवाल, खोर और चक हंसो – जहां कभी रातें बंकरों में गुजरती थीं, अब एक बार फिर खेतों की मेड़ पर धान बोने की तैयारी है। इन गांवों में जिंदगी की परिभाषा ‘सावधानी’ है और उम्मीद का नाम है- सीजफायर।

बदलाव के आंकड़े

आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं 60 फीसदी तक घटीं। 2023 में राज्य में रिकॉर्ड 2.12 करोड़ पर्यटक आए। जम्मू-कश्मीर में 22,500 युवा सेना और पैरामिलिट्री फोर्स में भर्ती हुए।

चक हंसो: बच्चों ने शुरू कर दिया स्कूल जाना

आरएसपुरा सेक्टर के चक हंसो गांव में सेना से रिटायर्ड अजित राम आज भी उस दिन को याद करते हैं, जब बीएसएफ की खरकोला पोस्ट पर तीन जवानों ने शहादत दी थी। वे बताते हैं, ऑपरेशन सिंदूर के बाद डर की जगह तैयारी ने ले ली है। अब लोग अपने घरों में लौट आए हैं, बच्चों ने स्कूल जाना शुरू किया है और गांव में फिर से जिंदगी लौट रही है। गांव में बंकर निर्माण प्रशासन की मदद से तेजी से हो रहा है। हर घर में 11 गुणा 13 फुट का बंकर बनने की योजना है। जम्मू जिले के छह बॉर्डर ब्लॉक में करीब 4,500 सामुदायिक और निजी बंकरों का निर्माण किया जाना है, जिनमें से 2,000 से अधिक पर काम जारी है।

खोर : 15 घर तबाह, लेकिन हौसला जिंदा

बॉर्डर के नजदीक खोर गांव की आबादी करीब 3,000 है। सुरजीत शर्मा, जो खुद युद्ध के समय गांव में ही रहे, कहते हैं, गांव अब फिर से आबाद हो रहा है। शरण लेने दूसरे गांव गए आसपास के लोग लौट आए हैं। लेकिन इस बार हम पहले से अधिक तैयार हैं।’ इस गांव में पाकिस्तानी गोले गिरने से 15 घर और 5 जानवर मारे गए थे। लेकिन सिर्फ 4600 रुपए का मुआवजा मिलने से गांव वालों में रोष भी है। हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इन घरों का पुनर्निर्माण हो। हमने देश का बोझ झेला है, अब देश हमें थोड़ा संबल दे।

पर्गवाल बारिश का इंतजार, खेती में जुटे

अखनूर सैक्टर के नरसिहपुरा माब के अजय बताते हैं, हमारे बंकर ने गांव के कई लोगी की जान बचाई। हमने डिप्टी कलेक्टर को आवेदन विए हैं। बंकर निर्माण फिर से शुरू हो गया है। लोग खेती में जुटे हैं, धान के लिए बारिश का इंतजार है। यह गांव युद्ध के समय प्रत्यक्ष टारगेट बना था। 1100 आबादी वाले गांव में पाकिस्तानी गोले पीर बाबा की मजार और एक घर पर गिरे। अजय का कहना है, हम सिर्फ मदद लेने वाले नहीं, अब मदद देने वाले बनना चाहते हैं। हम सरकार से बेसिक डिफेंस ट्रेनिंग की मांग कर रहे है, ताकि जरूरत पड़े तो हम सेना को लॉजिस्टिक और ग्राउंड सपोर्ट दे सकें।
यह भी पढ़ें

ग्राउंड रिपोर्टः कश्मीरी पंडितों का दर्द, भगवान राम की तरह… हम कब लौटेंगे अपने घर?


दुनिया में युद्ध कही भी हो, सीमावर्ती गांवों का भविष्य हो जाता है अनिश्चित

इजरायल-ईरान और रूस-यूक्रेन युद्ध की खबरें जब गांवों में आती हैं, तो मोबाइल की स्क्रीनों पर सिर्फ खबर नहीं होती – वहां डर भी होता है और निर्णय भी। अजित राम कहते हैं- अगर दुनिया में युद्ध बढ़ रहा है तो हमें भी सजग रहना होगा। हम रातों को जागते हैं, सेना से संपर्क में रहते हैं, बच्चों को सुरक्षा के तरीके सिखाते हैं।
यह भी पढ़ें

12 दिन बाद खत्म हुआ ईरान और इजरायल का युद्ध, डोनाल्ड ट्रंप ने किया सीजफायर का ऐलान


… तब तक कश्मीर का विकास अधूरा

अब गांववाले खुद अलर्ट प्लान बनाते हैं और जवानों की मदद करते हैं। ये गांव सिर्फ जंग का सामना नहीं करते, ये देश का जीता-जागता कवच हैं। हर गोली की आवाज के बीच किसान अपने खेत की तरफ देखता है और एक बच्चा अपनी किताब खोलता है। जब तक इन गांवों में बंकर नहीं बनेंगे, तब तक भविष्य आश्वस्त नहीं होगा। जब तक इन गांवों की आवाज नहीं सुनी जाएगी- तब तक कश्मीर का विकास अधूरा होगा।

Hindi News / National News / Ground Report: बॉर्डर के गांवों में डर नहीं, हौसलों से भरी रातें; बंकरों में गूंजती हैं वीरता की यादें

ट्रेंडिंग वीडियो