दरअसल, संस्था से जुड़े राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय कुमार ने वोट हेरफेर के आरोप लगाए थे, बाद में माफी मांग ली थी। उनके डेटा के आधार पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वोट चोरी का आरोप लगाया था। इसे लेकर बीजेपी हमलावर है।
अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से जुड़े आइसीएसएसआर ने कहा है कि सीएसडीएस ने उसके अनुदान सहायता नियमों का उल्लंघन किया है।
सीएसडीएस ने भारत के चुनाव आयोग द्वारा की गई एसआइआर प्रक्रिया की पक्षपातपूर्ण व्याख्या पर आधारित मीडिया रिपोर्ट भी प्रकाशित की हैं। इस पर संज्ञान लिया गया है। आगे कहा गया, ‘आइसीएसएसआर संविधान का सम्मान कता है। चुनाव आयोग उच्च संवैधानिक निकाय है, जो दशकों से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव करा रहा है।’
कौन हैं प्रोफेसर संजय कुमार?
संजय कुमार राजनीतिक विश्लेषक हैं। वह सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस), नई दिल्ली के रिसर्च प्रोफेसर हैं। साथ ही संस्थान के लोकनीति कार्यक्रम के को-डायरेक्टर हैं। वह और उनकी टीम मतदाताओं के व्यवहार, चुनावी अध्ययन और सामाजिक-राजनीतिक सर्वेक्षण करती है।
विवादों में क्यों घिरे?
संजय कुमार ने 17 अगस्त 2025 को अपने X हैंडल पर एक पोस्ट लिखी थी। पोस्ट में उन्होंने महाराष्ट्र के वोटर्स का डेटा पेश किया था। दावा किया था कि 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच वोटर्स की संख्या असामान्य तरीके से बढ़ी थी। उन्होंने कहा था कि नासिक पश्चिम में मतदाताओं की संख्या में 47% और हिंगना विधानसभा में 43% का इजाफा हुआ था। वहीं, रामटेक और देवलाली क्षेत्रों में वोटर संख्या 38% और 36% गिरने का दावा किया था। बाद में उन्होंने पोस्ट हटा लिया।
बाद में उन्होंने क्या कहा?
संजय ने खुद ही माफी मांगते हुए एक्स पर पोस्ट में लिखा, मैं महाराष्ट्र चुनावों से संबंधित ट्वीट्स के लिए ईमानदारी से माफी मांगता हूं। 2024 के लोकसभा और विधानसभा डेटा की तुलना में गलती हुई। हमारी टीम ने डेटा को गलत तरीके से पढ़ लिया। ट्वीट को हटा दिया गया है। मेरा गलत सूचना फैलाने का कोई इरादा नहीं था।
बीजेपी का क्या कहना है?
बीजेपी ने कहा कि वह संस्थान, जिसके आंकड़ों पर भरोसा कर राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के मतदाताओं को बदनाम किया…अब खुद मान चुका है कि उसके आंकड़े गलत थे। न सिर्फ महाराष्ट्र पर बल्कि एसआइआर पर भी। राहुल गांधी को तुरंत बिहार में यात्रा छोड़कर जनता से अपनी गैर-जिम्मेदार राजनीति के लिए बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।