राहुल गांधी के आरोप
राहुल गांधी ने शुक्रवार को संसद भवन के बाहर मीडिया से बातचीत में दावा किया कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए वोट चोरी कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे पास 100% सबूत हैं कि चुनाव आयोग वोट चोरी में लिप्त है। हमने मध्य प्रदेश, लोकसभा और महाराष्ट्र चुनावों में गड़बड़ी का शक जताया था, और हमारी छह महीने की जांच में विस्फोटक तथ्य सामने आए हैं। ये सबूत ‘एटम बम’ की तरह हैं, जिन्हें जल्द सार्वजनिक किया जाएगा।” राहुल ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) और कर्नाटक की एक लोकसभा सीट पर वोटर लिस्ट में धांधली का भी जिक्र किया, जहां हजारों नए वोटरों को जोड़ा गया।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि आयोग ने 12 जून 2025 को राहुल को पत्र और ईमेल भेजकर जवाब मांगा था, लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। आयोग ने अपने बयान में कहा, “राहुल गांधी के आरोप बेबुनियाद हैं। अगर उनके पास सबूत हैं, तो उन्हें औपचारिक शिकायत दर्ज करनी चाहिए थी या आयोग से मुलाकात करनी चाहिए थी।” आयोग ने यह भी बताया कि उसने बिहार में 65 लाख मृतक और विस्थापित व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची से हटाए हैं और सभी राजनीतिक दलों को यह सूची सौंपी है। आपत्तियां दर्ज करने के लिए 1 सितंबर तक का समय दिया गया है।
EC ने जारी किए तथ्य
चुनाव आयोग ने अपने जवाब में पारदर्शिता पर जोर देते हुए कहा कि सभी चुनाव संसद द्वारा पारित कानूनों और नियमों के अनुसार निष्पक्ष तरीके से कराए जाते हैं। आयोग ने राहुल के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के आरोपों पर 24 दिसंबर 2024 को विस्तृत जवाब दिया था, जो उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। आयोग ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक या महाराष्ट्र में मतदाता सूची को लेकर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की।
BJP और अन्य दलों की प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी पर संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं। जब वे जीतते हैं, तो सब ठीक है, लेकिन हारने पर आयोग को दोषी ठहराते हैं।” वहीं, JDU ने भी राहुल के आरोपों को “राजनीतिक नाटक” करार दिया।
विपक्ष का विरोध
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दलों ने तीखा विरोध जताया है। उनका दावा है कि SIR की आड़ में लाखों मतदाताओं को सूची से हटाया जा रहा है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिन पर सुनवाई जारी है।