मुरलीधरन ने पहले भी साधा था निशाना
ऐसा पहली बार नहीं है कि के. मुरलीधरन ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर निशाना साधा हो। कुछ समय पहले जब थरूर ने खुद को एक सर्वे के मुताबिक फेमस सीएम चेहरा बताया था, तब मुरलीधरन ने कहा था कि थरूर को पहले यह तय कर लेना चाहिए कि वह किस पार्टी में हैं।
किसके साथ हैं शशि थरूर
19 जुलाई को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा था कि किसी भी नेता की पहली वफादारी देश के प्रति होनी चाहिए, किसी पार्टी विशेष के प्रति नहीं। पार्टियां सिर्फ देश को बेहतर बनाने का जरिया मात्र हैं। अगर देश नहीं बचेगा तो पार्टियों का क्या फायदा? इसलिए जब देश की सुरक्षा का सवाल हो तो सभी दलों को मिलकर काम करना चाहिए।
इंदिरा को ठहराया दोषी
शशि थरूर लगातार कांग्रेस हाईकमान को परेशानी में डालने वाले बयान दे रहे हैं। बीते 10 जुलाई को मलायम अखबार दीपिका में उन्होंने इमरजेंसी के खिलाफ लेख लिखा। इसमें उन्होंने इमरजेंसी को भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय बताया। कहा कि इससे सबक लेना जरूरी है। उन्होंने नसबंदी अभियान को मनमाना और क्रूर फैसला बताया। उनके इस लेख के बाद कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत को सामने आकर कहना पड़ा कि यह थरूर की निजी राय है।
मोदी के करीब जाते दिखे थरूर
कांग्रेस लगातार विदेशी मामलों में मोदी सरकार (Modi Government) को घेरती आई है, लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हर बार पार्टी से इतर अपनी राय मीडिया के सामने जाहिर की। उन्होंने खुलकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S JaiShankar) और मोदी सरकार की विदेश नीति की तारीफ की।
बीजेपी के सुपर प्रवक्ता शशि थरूर
इसका इनाम भी मोदी सरकार की तरफ से थरूर को मिला। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जब भारत सरकार ने मुख्य विपक्षी दल से डेलिगेशन के लिए कांग्रेस नेताओं का नाम मांगा तो उसमें थरूर का नाम नहीं था, लेकिन भारत सरकार ने थरूर को विदेशी डेलिगेशन में शामिल किया। साथ ही, उन्हें भारत का पक्ष रखने के लिए अमेरिका भेजा। इससे थरूर के खिलाफ कांग्रेस के भीतर असंतोष पैदा हो गया। केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने थरूर को बीजेपी (BJP) का सुपर प्रवक्ता तक करार दे दिया।
सीएम बनने की चाहत जगजाहिर
शशि थरूर चार बार के लोकसभा सांसद हैं। वह केरल की राजनीति में एक्टिव होने की चाहत रखते हैं। इस मंशा के कारण उनकी केरल कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं से नहीं बनती है। राहुल गांधी के सिपहसलार माने जाने वाले केसी वेणुगोपाल से भी थरूर की अंदरखाने खींचतान चलती रहती है। वह केरल के स्थानीय नेतृत्व और गांधी परिवार के वफादारों को भले ही यह पसंद हो या न हो, थरूर राज्य के मीडिल क्लास में एक शक्तिशाली चेहरा हैं। उन्हें सभी समुदायों और जातियों का मजबूत समर्थन हासिल है।
कांग्रेस के साथ थरूर का रिश्ता तनाव पूर्ण
कांग्रेस के साथ शशि थरूर का रिश्ता तनावपूर्ण बना हुआ है। एक समय था जब थरूर, गांधी परिवार से डायरेक्ट मिल सकते थे। उन्हें गांधी परिवार से मिलने के लिए अपॉइंटमेंट लेने की जरूरत नहीं पड़ती थी, लेकिन थरूर के G23 समहू (जिसमें कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी थे) में शामिल होने से दूरियां बढ़ने लगी। इसके बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव में मल्लिकार्जुन खरगे के सामने उम्मीदवार बनकर खड़े हो गए थे। सियासी गलियारों में कहा गया कि उनका यह कदम गांधी परिवार (Gandhi Family) को रास नहीं आया।
क्या आगे राह होगी आसान
बहरहाल, शशि थरूर के लिए भाजपा में जाना आसान नहीं होगा। बीजेपी लोकसभा चुनाव में केरल में एक सीट जीतने में जरूर कामयाब रही है। उसका लोकसभा चुनाव के दौरान मत प्रतिशत भी बढ़ा है। लोकसभा में बीजेपी को 19 फीसदी वोट मिले, लेकिन थरूर की पॉलिटिक्स भी बीजेपी से अलग है। बीजेपी वहां हिंदुओं को लामबंदी करने में जुटी है, जबकि थरूर की छवि वहां एक पढ़े लिखे नेता की है। थरूर का प्रभाव केरल के शहरी इलाकों में माना जा सकता है। हालांकि, पीएम मोदी कांग्रेस सांसद शशि थरूर को पसंद करते हैं। वह संसद में थरूर की तारीफ भी कर चुके हैं। गौरतलब बात यह है कि राजनीति में सहूलियत के हिसाब से नए समीकरण बैठाए जाते हैं।