बंधुआ मजदूर बना चुनाव आयोग
ममता ने कहा, “चुनाव आयोग बीजेपी के बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहा है। अमित शाह के इशारे पर यह कठपुतली बन गया है। बंगाल इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा। मैं अपने अधिकारियों को सजा नहीं होने दूंगी।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर मतदाता सूची से वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाए गए, तो वह पूरे विश्व में इसका विरोध करेंगी।
वोटर लिस्ट और NRC पर विवाद
ममता ने विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया को लेकर भी बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि यह प्रक्रिया राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लागू करने की साजिश का हिस्सा है। ममता ने कहा, “बीजेपी मतदाता सूची से नाम हटाकर चुनाव जीतना चाहती है। यह उनकी चाल है।” उन्होंने असम में सात लाख लोगों, विशेष रूप से बंगाली हिंदुओं, के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने का हवाला देते हुए इसे बंगाल में लागू करने की कोशिशों का विरोध किया।
गृह मंत्री पर कसा तंज
ममता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी तंज कसा और पूछा, “वे लोग माता-पिता के जन्म प्रमाणपत्र मांग रहे हैं। क्या आपके पास आपके माता-पिता का जन्म प्रमाणपत्र है? पहले उसे दिखाइए।”
अधिकारियों का बचाव
ममता ने निलंबित अधिकारियों का बचाव करते हुए कहा कि उनकी सरकार उन्हें हर हाल में बचाएगी। “चुनाव की तारीखें अभी घोषित भी नहीं हुई हैं, फिर भी निलंबन शुरू हो गया है। यह कानून के खिलाफ है। हम अपने अधिकारियों को बचाने के लिए कुछ भी करेंगे।” उन्होंने बीजेपी पर बंगाली भाषा और संस्कृति का अपमान करने का भी आरोप लगाया।
BJP सांसद का पलटवार
इसके जवाब में बीजेपी सांसद और बंगाल प्रभारी समीक भट्टाचार्य ने ममता के बयानों को संवैधानिक संस्थानों पर हमला करार दिया। उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी अगर यह सोचती हैं कि वे अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या वोटों के दम पर सत्ता में वापसी करेंगी, तो वे गलत हैं।”
राजनीतिक तनाव बढ़ा
ममता के इस बयान ने पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। बीजेपी और टीएमसी के बीच यह विवाद मतदाता सूची, NRC और बंगाली पहचान जैसे मुद्दों पर और गहरा सकता है।