ओपन बुक असेसमेंट को अपनाया गया
NCFSE 2023 ने शिक्षा में रटने की आदत से हटकर योग्यता-आधारित शिक्षा की दिशा में बदलाव पर जोर दिया है। इस बदलाव को गति देने के लिए ओपन बुक असेसमेंट को अपनाया गया है। यह निर्णय जून में आयोजित एक गवर्निंग मीटिंग में लिया गया था। ओपन-बुक मूल्यांकन को मंजूरी देने से पहले एक पायलट अध्ययन किया गया था, जिसमें पाठ्यक्रम के क्रॉ-कटिंग विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया और अतिरिक्त पठन सामग्री के उपयोग से बचा गया। इस अध्ययन में छात्रों के प्रदर्शन का विश्लेषण किया गया, जिससे पता चला कि छात्रों के स्कोर 12 फीसदी से लेकर 47 फीसदी तक थे। CBSE की गवर्निंग बॉडी ने दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए दो परीक्षाओं की मंजूरी दे दी है। फरवरी में होने वाली बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले और दूसरी परीक्षा में शामिल होने की पात्रता पूरी करने वाले छात्र मई में दूसरी परीक्षा में विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और भाषा में से अधिकतम तीन विषयों में शामिल होकर अपने अंकों में सुधार कर सकते हैं। पहली परीक्षा में तीन विषयों में फेल होने वाले विद्यार्थी दूसरी परीक्षा के लिए पात्र नहीं होंगे। इसके लिए उन्हें अगले वर्ष दोबारा परीक्षा देनी होगी।
क्यों लिया गया ओपन बुक असेसमेंट का फैसला
एनसीएफएसई के मुताबिक, ओपन-बुक एग्जाम ऐसी परीक्षा है, जिसमें छात्रों को सवालों का जवाब देने के लिए कोर्स की या अन्य किताबें, खुद के नोट्स और अन्य संसाधनों का इस्तेमाल करने की इजाजत होती है। इसका उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी सिर्फ याद रखी चीजों के आधार पर जवाब न लिखें, बल्कि ज्ञान को समझकर अलग-अलग स्थितियों में इस्तेमाल कर सकें। सरल शब्दों में छात्र रटने की आदत से बचें और असली ज्ञान और स्किल को सीखें ताकि वे सोच-समझकर सवालों के जवाब दे सकें।