आरोप है कि दोनों ने जानबूझकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने के लिए झूठी खबरें फैलाने की साजिश रची, जिसमें कांग्रेस को तुर्किये से जोड़ने का प्रयास किया गया।
युवा कांग्रेस का आरोप
युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता वरुण पांडे ने बताया कि यह एफआईआर पार्टी के शीर्ष निर्देशों पर दर्ज करवाई गई। इसमें संगठन के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, अध्यक्ष उदय भानु चिब, और लीगल विभाग के चेयरमैन रूपेश भदौरिया शामिल रहे। चिब और भदौरिया ने एफ़आईआर की दर्ज होने के बाद कहा, “कांग्रेस को बदनाम करने और देश की एकता को कमजोर करने की यह कोशिश लोकतंत्र पर सीधा हमला है। युवा कांग्रेस इस पर चुप नहीं बैठेगी।”
सोशल मीडिया पर किया यह पोस्ट
भारतीय युवा कांग्रेस ने एक्स पर एक पोस्ट भी शेयर किया है। इसमें कांग्रेस ने लिखा, “झूठ और नफ़रत के खिलाफ बड़ा एक्शन! कर्नाटक में भाजपा IT सेल प्रमुख अमित मालवीय और रिपब्लिक टीवी के अर्णब गोस्वामी के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जी को बदनाम करने और कांग्रेस को तुर्की से जोड़ने की झूठी साजिश में गैरजमानती धाराओं में FIR दर्ज! FIR में दोनों पर फर्जी खबरें फैलाने, नफ़रत भड़काने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं!”
किन धाराओं में मामला दर्ज किया गया?
प्राथमिकी में अमित मालवीय और अर्नब गोस्वामी पर भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 192 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना) और 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया। युवा कांग्रेस का कहना है कि यह कार्रवाई फर्जी खबरें फैलाने वालों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है।
FIR में क्या कहा गया –
शिकायत में कहा गया है कि “आरोपियों ने जानबूझकर यह झूठ फैलाया कि तुर्की के इस्तांबुल कांग्रेस सेंटर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का कार्यालय है। यह कदम न केवल एक राजनीतिक दल को बदनाम करने, बल्कि राष्ट्रवादी भावनाओं से खेलने और जनता को गुमराह करने के लिए किया गया।” शिकायत में यह भी रेखांकित किया गया है कि यह कथित झूठ उस समय फैलाया गया, जब भारत और तुर्की के संबंध पहले से ही पाकिस्तान के प्रति तुर्की के कथित समर्थन के कारण तनावपूर्ण हैं। देश में तुर्की के उत्पादों और पर्यटन का बहिष्कार चल रहा है। ऐसे माहौल में इस तरह की जानकारी फैलाना जनता की देशभक्ति भावनाओं के खिलाफ उकसाने जैसा है। शिकायत के अनुसार, ‘मालवीय और गोस्वामी द्वारा झूठे प्रचार के लिए अपने प्रभाव का दुरुपयोग, भारत की लोकतांत्रिक नींव और सार्वजनिक सुरक्षा पर एक अभूतपूर्व हमला है। यह कृत्य सबसे कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग करता है।’