SIR पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है (Photo-IANS)
Bihar SIR Row Hearing: सुप्रीम कोर्ट में वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर सुनवाई हो रही है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ एसआईआर के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। SC में चुनाव आयोग ने बताया कि कानून के तहत मतदाता सूची से हटाए गए लोगों के नामों की कोई अलग सूची तैयार करने या साझा करने या किसी भी कारण से उनके नाम शामिल न करने के कारणों को प्रकाशित करने की आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने दावा किया था कि एक निर्वाचन क्षेत्र में 12 लोग मृत है, लेकिन वे लोग जिंदा पाए गए। वहीं एक अन्य मामले में जीवित लोगों को मृत घोषित कर दिया गया।
‘छोटी-मोटी गलतियां होना स्वाभिक’
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस तरह के अभियान में छोटी-मोटी गलतियां होना स्वाभिक है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मृत व्यक्तियों को जिंदा बताना और जिंदा व्यक्तियों को मृत बताने को सही किया जा सकता है, क्योंकि यह केवल एक मसौदा सूची है। राकेश द्विवेदी ने कहा कि बूथ स्तरीय अधिकारियों द्वारा इन्हें ठीक किया जा सकता है।
‘नागरिकता साबित करने का दायित्व ईसी का’
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 का हवाला देते हुए कहा कि मतदाता की नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है, न कि व्यक्तिगत मतदाता की।
पीठ ने EC से कही ये बात
चुनाव आयोग से पीठ ने कहा कि वह तथ्यों और आंकड़ों के साथ तैयार रहें, क्योंकि विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले वोटरों की संख्या, उससे पहले और अब मरने वालों की संख्या तथा अन्य प्रासंगिक विवरणों पर सवाल उठेंगे।
आधार कार्ड को स्वीकार नहीं करती ईसी
चुनाव आयोग द्वारा लोगों से दस्तावेज मांगने पर जस्टिस कांत ने कहा कि दस्तावेज केवल नामांकन की सुविधा के लिए मांगे जाते हैं, तथा आवेदक को केवल एक दस्तावेज उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है, सभी नहीं। इस पर कपिल सिब्बल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कि आधार को चुनाव आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है और बिहार में कई लोगों के पास ऐसे “सांकेतिक” दस्तावेज नहीं हैं।
बिहार भारत का हिस्सा-जस्टिस कांत
इस पर न्यायमूर्ति कांत ने जवाब दिया कि बिहार भारत का हिस्सा है और यदि इसके निवासियों के पास ये दस्तावेज नहीं हैं तो अन्य राज्यों के लोगों के पास भी ये दस्तावेज नहीं होने की संभावना है।
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