दरअसल, अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए मुद्दों की जमीन सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से तैयार की जा रही थी। इस बीच, चुनाव आयोग के मतदाता सूची के विशेष गहन परीक्षण (एसआइआर) ने बिहार समेत देश में नई बहस छेड़ दी है। जहां विपक्षी कांग्रेस और राजद इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए गरीब, दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों से वोट का अधिकार छीनने की साजिश बता रहे हैं। वहीं, सत्ताधारी भाजपा और जेडीयू ने इसे घुसपैठियों और भारत के नागरिक नहीं होने के बावजूद बने मतदाताओं का सफाई अभियान बताया है।
चुनाव आयोग: नया अखाड़ा, नए वार
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से करीब 65 लाख लोगों के नाम काट दिए हैं। पुनरीक्षण में गड़बड़ी और निष्पक्ष चुनाव पर शक ने विपक्षी खेमे में आक्रोश भर दिया है। आरजेडी और कांग्रेस ने इसे “लोकतंत्र पर सीधा हमला” करार दिया है, जबकि सत्तापक्ष इसे प्रक्रिया की शुद्धता बता रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। अब आयोग पर वेबसाइट से इलेक्ट्रॉनिक वोटर लिस्ट हटाकर स्कैन कॉपी अपलोड करने का आरोप लगा है। कांग्रेस और राजद नेताओं का दावा है कि ऐसा करने ने कंप्यूटर और एआई से आयोग की गड़बड़ी पकड़ना मुश्किल होगा।
बड़ा सवाल जनता का मुद्दा क्या?
सवाल यही है- बिहार की जनता किस मुद्दे पर वोट डालेगी? चमकती सड़कों पर, सुशासन के वादों पर, अपराध से मुक्ति के सपने पर या फिर उस चुनाव आयोग पर लगे गड़बड़ी के आरोप पर।
हटाए नामों को प्रकाशित करने के लिए आयोग बाध्य नहीं
चुनाव आयोग ने एडीआर की ओर से दायर वाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए बताया कि जो तय नियम हैं उसके तहत वह ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों की अलग सूची प्रकाशित करने के लिए बाध्य नहीं है। नियम में यह अनिवार्य नहीं है कि ड्राफ्ट सूची में किसी व्यक्ति को शामिल न करने के कारण बताए जाएं। इसके साथ ही आयोग ने बताया कि प्रारूप सूची प्रकाशित होने के बाद, राजनीतिक दलों को ऐसे मतदाताओं के नामों की अपडेट सूची दी गई जो प्रारूप सूची में शामिल नहीं थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन व्यक्तियों तक पहुंचने का हर प्रयास हो और कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए। आयोग ने कहा कि प्रारूप सूची से गायब व्यक्ति सम्मिलित होने की मांग के लिए एक घोषणापत्र जमा कर सकते हैं।
दो बार वोटिंग के दावे पर आयोग ने राहुल से कागज मांगे
कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में लिखा है कि राहुल ने अपनी प्रेजेंटेशन में कहा था कि यह डेटा चुनाव आयोग का है और पोलिंग ऑफिसर की ओर से दिए गए रिकॉर्ड में शकुन रानी नाम की महिला ने दो बार वोट डाला है। जांच में शकुन रानी ने कहा है कि उन्होंने सिर्फ एक बार वोट डाला है। शुरुआती जांच में यह बात भी सामने आई है कि जिस टिक लगे दस्तावेज को राहुल ने दिखाया था, वह दस्तावेज पोलिंग ऑफिसर की ओर से नहीं जारी किया गया था। इसलिए जिन दस्तावेजों के आधार पर राहुल ने दावा किया है, उन दस्तावेजों को उपलब्ध कराएं ताकि मामले की ठीक से जांच हो सके।