केंद्रीय मंत्री का बयान
मंत्री नायडू ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह हादसा केवल तकनीकी खराबी तक सीमित है। हम इसकी तह तक जाएंगे और हर पहलू की गहन जांच करेंगे।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस हादसे की निष्पक्ष और विस्तृत जांच के लिए प्रतिबद्ध है। विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने पहले ही अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बताया गया कि टेकऑफ के समय विमान की फ्लैप सेटिंग और लैंडिंग गियर की स्थिति सामान्य थी। साथ ही, साजिश या तोड़फोड़ के कोई स्पष्ट सबूत नहीं मिले।
प्रेस से की बात
राम मोहन नायडू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में इस तरह के हादसे दोबारा न हों। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। यह समिति मौजूदा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) और गाइडलाइंस की समीक्षा करेगी, ताकि विमानन सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके।”
जानकारी जुटाने में लगी टीम
हादसे की जांच में ब्लैक बॉक्स, जो हॉस्टल की छत पर मिला था, से महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि विमान ने टेकऑफ के तुरंत बाद ‘मेडे’ कॉल किया था, लेकिन इसके बाद ATC से संपर्क टूट गया। साथ ही, यह भी सामने आया कि विमान के राइट साइड इंजन की मार्च 2025 में मरम्मत की गई थी।
पीड़ित परिवारों को संवेदना
मंत्री ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “हादसे में जान गंवाने वालों की कहानियां देखना कष्टदायक है। हमने एयर इंडिया को निर्देश दिए हैं कि पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान की जाए।” टाटा समूह ने प्रत्येक प्रभावित परिवार को 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। हादसे में एकमात्र जीवित बचे यात्री, भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक रमेश विश्वास कुमार, की हालत अब स्थिर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे अस्पताल में मुलाकात की थी।
जांच में जुटी ICAO
केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के प्रोटोकॉल के तहत जांच शुरू की है, और ब्रिटेन सहित अन्य देशों के जांचकर्ता भी सहयोग कर रहे हैं। इस हादसे ने बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की सुरक्षा पर भी सवाल उठाए हैं, जिसके जवाब जांच पूरी होने के बाद मिलने की उम्मीद है।