सतपुड़ा की पहाड़ियों में गुफा में है भगवान शिव का मंदिर
पहाड़ों की रानी पचमढ़ी सतपुड़ा की पहाड़ियों पर बसा है। इन्हीं पहाड़ियों पर विराजे हैं भोलेनाथ। पहाड़ियों के बीच खींची दरारों से भक्त गुजरते हैं और जान हथेली पर लेकर यहां गुफा में विराजे भगवान शिव के दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं। नागद्वार नागपंचमी के अवसर पर दर्शन के लिए खोला जाता है। इसके लिए यहां 10 दिन तक मेला आयोजित किया जाता है। दर्शन के लिए आने वाले भक्त, मेले का मजा भी लेते हैं।
10 दिन का मेला, नागपंचमी पर ही होते हैं दर्शन
पचमढ़ी की खूबसूरत वादियों में सावन और नागपंचमी का मेला जरूर लगता है, लेकिन यहां नागद्वार में विराजे भगवान शिव के दर्शन केवल एक ही दिन नागपंचमी पर ही किए जा सकते हैं। दरअसल पौराणिक मान्यता के अनुसार नागपंचमी का दिन ही वह दिन है, जब यहां 12 नागों का जोड़ा भगवान शिव के साथ नजर आता है। यही कारण है कि इसी दिन देवों के देव महादेव के दर्शन यहां शुभ माने जाते हैं। इस साल नागपंचमी 29 जुलाई को मनाई जाएगी। ऐसे में आज रात से नागद्वार का द्वार भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाएगा।

नागद्वार यात्रा का रहस्य
माना जाता है कि यह वही स्थान है, जहां स्वयं भगवान शिव ने नागों को वरदान दिया था कि वे इस गुफा में वास करेंगे। मान्यता ये भी है कि 12 नागों के जोड़े यहां नागपंचमी पर एक साथ नजर आ जाते हैं। हालांकि ये केवल आस्था का विषय है, कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने इन 12 नाग के जोड़ों के दर्शन किए हैं, तो कई कहते हैं कि सिर्फ भगवान शिव के ही दर्शन किए हैं।भक्तों के उत्साह के आगे फीकी पड़ जाती है दुर्गम यात्रा
नागद्वार तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं है। करीब 13-15 किमी तक पहाड़ी रास्ता इतना दुर्गम है कि भक्तों को ऊंची और खड़ी चढ़ाई चढ़नी होती है, पहाडो़ं से गिरते झरने के बीच और पहाड़ी रास्ते में जमा पानी के बीच से गुजरना होता है। पथरीले मोड़, सीढ़ीयों के उतार-चढ़ाव, घने जंगल, पहाड़ों के संकरे रास्ते देखकर एक बार तो डर ही लगता है कि कहीं इनमें फंसे न रह जाएं, लेकिन इतनी कठिन यात्रा को भक्त नंगे पैर पार करते हैं और नागद्वार दर्शन करके ही दम लेते हैं। यही कारण है कि इस यात्रा को मिनी अमरनाथ यात्रा भी कहा जाता है।
रातभर भजन-कीर्तन और फिर दर्शन
नागद्वार में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में होती है। इसलिए यहां दर्शन के लिए नागद्वार के द्वार नागपंचमी की पूर्व संध्या पर ही खोल दिए जाते हैं। भक्त रातभर भजन-कीर्तन करते हुए अपनी बारी का इंतजार करते हैं। नागपंचमी पर दर्शन के लिए खुलने वाले नागद्वार के द्वार नागपंचमी के दिन पूरा दिन और पूरी रात खुले रहते हैं। नागपंचमी के अगले दिन भोर तक दर्शन किए जा सकते हैं।

स्थानीय पुलिस, एनडीआरएफ, होमगार्ड संभालते हैं सुरक्षा का जिम्मा
नागद्वार यात्रा के दौरान 10 दिन से लगने वाले मेले और नागद्वार दर्शन के दौरान पूरे पचमढ़ी में भक्तों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी किया जाता है। स्थानीय पुलिस, एसडीएम, तहसीलदार,आर आई, पटवारी, 700 पुलिस जवान, 130 होमगार्ड, 50 आपदा मित्र और 12 एनडीआरएफ कर्मी यहां तैनात किए जाते हैं। रास्ते में कैंप लगाए जाते हैं, जहां भक्त ठहर सकें। ताकि ये दुर्गम यात्रा उनके लिए परेशानी का सबब न बने। इन कैंपों में विश्राम कर भक्त आगे बढ़ते जाते हैं। जिन्हें नागद्वार दर्शन करने हैं, वो यहां रुकते हैं और नागपंचमी पर्व का इंतजार करते हैं। वहीं जो केवल मेले का आनंद लेते हुए बाहर से नही नागद्वार दर्शन करना चाहते हैं, वे यहां थोड़ी देर रुककर थकान उतारते हैं और फिर नागद्वार खुलने से पहले ही बाहर से ही दर्शन कर लौट जाते हैं।
भक्तों को आसानी से मिल जाती है बस की सुविधा
प्रशासन की ओर से यहां भक्तों की सुविधा के लिए बस सुविधा शुरू की जाती है। बसों का किराया निर्धारित किया जाता है, ताकि भक्त जरा भी परेशान न हों। जैसे नागपुर से पचमढ़ी का किराया 338 रुपए, भोपाल से पचमढ़ी तक पहुंचने के लिए 250 रुपए और पिपरिया से जाने वालों को 68 रुपए तक किराया चुकाना होता है।


जानें क्या है 12 नाग के जोड़ों की कहानी
किंवदंती के मुताबिक जब भगवान शिव ने देवताओं और असुरों के बीच संतुलन के लिए नागों को विशेष शक्तियां प्रदान की थीं, तब उन्होंने 12 नागों को पृथ्वी के केंद्र में वास करने का आशीर्वाद दिया था। ये नाग साल में केवल एक ही बार नागपंचमी के दिन नागद्वार में एकत्रित होते हैं। इस गुफा की आकृति भी एक विशाल नागमुख जैसी प्रतीत होती है।कैसे पहुंचे नागद्वार
-निकटतम रेलवे स्टेशन- पिपरिया(51 किमी)-बस सेवा- पचमढ़ी तक नियमित सेवाएं
-पैदल यात्रा- पचमढ़ी से नागद्वार तक 7 किमी पैदल यात्रा करनी होती है। बता दें कि इस बार इस आयोजन (Nagdwar Yatra 2025) की लाइव स्ट्रीमिंग की तैयारी भी मध्य प्रदेश सरकार ने की है।

नागद्वार दर्शन करने सबसे ज्यादा भक्त कहां से आते हैं
— नागद्वार यात्रा और नागपंचमी पर दर्शन के लिए सबसे ज्यादा भक्त एमपी के छिंदवाड़ा जिले से आते हैं। विशेष रूप से परासिया, जामर्ड, पांढुर्ना, चौरई जैसे इलाकों से यहां भक्त जत्थों में दर्शन करने पहुंचते हैं। पचमढ़ी के नजदीक होने के कारण और पारिवारिक मान्यताओं के चलते यहां से भक्त नागद्वार की यात्रा पर हर साल निकल पड़ते हैं।नागद्वार में क्यों आते हैं श्रद्धालु
यह यात्रा 13-15 किमी की है, सबसे कठिन और दुर्गम यात्रा 7 किमी की है, जो पहाड़ों के झरने, ऊंची और तीखी या खड़ी चढ़ाई और संकरे रास्तों से होकर गुजरती है। शिवभक्तों की आस्था के आगे ये कुछ नहीं रह जाती। नागद्वार स्थित महादेव की गुफा बेहद प्राचीन और पवित्र मानी जाती है। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से काल सर्प जैसे कई योग स्वत: खत्म हो जाते हैं, वहीं लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।