वीडियो : फसलों के कचरे से बन रही बिजली, सरकार चाहे तो हो सकता है पराली की समस्या का समाधान
रायड़ा, जीरा, सौंफ जैसी फसलों का कचरा भी किसानों के लिए बन रहा कमाई का साधन, सरकार इस ओर ध्यान दे तो खत्म हो सकती है पराली जलाने की समस्या, बायोमास बेस पावर प्लांट संचालक को भी मिल रहे अच्छे दाम
नागौर. जिले के पूंजीयास में ‘बायोमास’ बेस पावर प्लांट से फसलों के कचरे (अपशिष्ट) से बिजली बनाई जा रही है। जिले के मेड़ता रोड-जारोड़ा सडक़ मार्ग पर पूंजीयास गांव में पिछले 14 सालों से संचालित इस प्लांट से एक ओर सरकार को बिजली मिल रही है, वहीं किसानों को कचरे के भी दाम मिल रहे हैं। खास बात यह है कि प्लांट संचालक को प्रति यूनिट 5.78 रुपए का भुगतान डिस्कॉम की ओर से किया जा रहा है।
केन्द्र सरकार की योजना के तहत वर्ष 2011 में स्थापित किए गए ‘बायोमासऊर्जा’ प्लांट के बाद इस प्रकार का नया प्लांट जिले में नहीं लग पाया, लेकिन यदि सरकार इस प्रकार के प्लांट लगाने को प्रोत्साहित करे तो पराली सहित अन्य फसलों का कचरा जलाने से होने वाले प्रदूषण से निजात मिल सकती है।
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन पर जोर दे रही है, जो बिजली का अच्छा विकल्प बन रहा है, लेकिन सौर ऊर्जा प्लांट के लिए बड़े स्तर पर पेड़ काटने पड़ रहे हैं, जिसका पर्यावरण प्रेमी विरोध भी कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व राजस्थान में पराली सहित अन्य फसलों का कचरा (अपशिष्ट) जलाने की बड़ी समस्या है, जिस पर भले ही कोर्ट ने रोक लगा दी है, लेकिन पराली जलाने का क्रम आज भी जारी है, जिससे बड़े स्तर पर प्रदूषण फैलता है। ऐसे में यदि सरकार ‘बायोमासऊर्जा’ प्लांट को प्रोत्साहित करे तो दो समस्याओं का समाधान हो सकता है। फसल अपशिष्ट से बिजली उत्पादन, एक तरफ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है और दूसरी तरफ ऊर्जा की कमी को दूर करने में मदद करेगा।
बायोमास बेस पावर प्लांटएक नजर : बायोमास बेस पावर प्लांटस्थापना : वर्ष 2011 में बनकर तैयार हो गया। आइडिया कैसे मिला : इजरायल सहित अन्य जगहों से यह आइडिया मिला। वर्ष 1999 में भारत सरकार ने एक योजना बनाई, जिसके सहयोग से प्लांट की स्थापना की।
बिजली उत्पादन के लिए क्या-क्या चाहिए : विशेषकर खेतों में कटी हुई फसलों के कचरे व पानी से बिजली उत्पादन किया जाता है। कितना खर्च आया : प्लांट लगाने में करीब 56 करोड़ रुपए की लागत आई।
कहां होती है सप्लाई : बायोमास प्लांट से 132 केवी जीएसएस मेड़ता रोड को रोजाना करीब 7 से 8 मेगावाट की विद्युत आपूर्ति की जा रही है। जहां से आगे गांवों में सप्लाई की जाती है।
कचरा निस्तारण की समस्या होगी हल इस प्रकार के नवाचार से किसानों के खेतों में होने वाले फसलों के कचरे के निस्तारण में मदद मिलेगी। इसके अलावा कृषि अवशेषों का इसमें प्रयोग किए जाने से लोग फसल अवशेष जलाने से भी परहेज करेंगे। सौर ऊर्जा के साथ ‘बायोमासऊर्जा’ भी एक अच्छा विकल्प बन सकता है, यदि सरकार इस ओर ध्यान दे तो।
हर साल किसानों को मिल रहे 22 – 23 करोड़ केन्द्र सरकार की योजना के तहत हमने यह प्लांट स्थापित किया था, जिसमें किसानों से सरसों, रायड़ा, इसबगोल, जीरा, सौंफ आदि फसलों का कचरा खरीदकर कच्चे माल के रूप में उपयोग करके बिजली उत्पादन करते हैं। हम जिले के किसानों से हर साल 22 से 23 करोड़ का अपशिष्ट खरीदते हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ती है और दूसरी तरफ सरकार को भी बिजली मिल जाती है।
– जितेन्द्र कुमार, जनरल मैनेजर, सत्यम बायोमास पावर प्लांट
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