सड़क गुणवत्ता निरीक्षण यात्रा नागौर में, पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों के साथ सड़कों को परखा
प्रदेश में पहली बार निकाली जा रही है ऐसी यात्रा, जिसमें संवेदक, इंजीनियर व आमजन कर रहे निरीक्षण, पीडब्ल्यूडी गुणवत्ता नियंत्रण के मुख्य अभियंता बोले – आमजन में जागरूकता लाने का काम करेगी यात्रा
नागौर. प्रदेश के 28 जिलों की यात्रा पूरी करने के बाद सड़क गुणवत्ता निरीक्षण (सगुनि) यात्रा मंगलवार को नागौर पहुंची। यहां बालवा रोड पर स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में पौधरोपण करने के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (गुणवत्ता नियंत्रण) जसवंतलाल खत्री के मुख्य आतिथ्य में छात्रों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अभियंता खत्री ने कहा कि यह अनुभव की यात्रा है। ऐसे कार्यक्रम में समाज का साथ होना जरूरी है, अन्यथा वो परिणाम नहीं मिलता, जो अपेक्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि सगुनि यात्रा एक ऐसा नवाचार है, जो इससे पहले देश में कभी नहीं हुआ। उन्होंने छात्रों से सवाल कतरे हुए पूछा कि आपको कैसी सड़क पसंद है? छात्रों ने जवाब दिया – जो सुगम और सुरक्षित हो। इस पर मुख्य अभियंता खत्री ने कहा कि सड़क सबको जोड़ती है। उन्होंने कहा कि अकाल मृत्यु हमेशा दु:खद और पीड़ादायक होती है, इसलिए सड़क की भी अकाल मृत्यु नहीं होनी चाहिए। सड़क मजबूत होनी चाहिए। खत्री ने पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं से कहा कि सड़क गुणवत्तापूर्ण ही होती है, यदि हम उसे गुणवत्तापूर्ण बनवाते हैं तो नया कुछ नहीं कर रहे हैं। यह हमारी ड्यूटी है। उन्होंने कहा कि यह जीरो बजट यात्रा है। इसमें समाज की ओर से सड़कों का आकलन किया जा रहा है।
दायित्वबोध होना जरूरी मुख्य अभियंता खत्री ने विभाग के अभियंताओं से कहा कि महाभारत के दुर्योधन का उदाहरण देते हुए कहा कि उसे मालूम था कि सही क्या है और गलत क्या, फिर भी उसने गलत किया। इसी प्रकार सडक़ की गुणवत्ता क्या है, हम जानते हैं, लेकिन उनकी पालना करना हमारी आदत नहीं है। लेकिन जब जागरूक समाज यह अहसास कराता है तो हमें दायित्वबोध होता है।
औसतन 250 किमी सड़कों का निरीक्षण कार्यक्रम में पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं ने बताया कि सड़क गुणवत्ता निरीक्षण यात्रा 28 जिलों की यात्रा करके नागौर जिले में आई है। अब तक हर जिले में औसतन 250 किलोमीटर सड़कों का निरीक्षण किया गया है। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिरिक्त मुख्य अभियंता अजमेर कौशलेंद्र भारद्वाज ने कहा कि यात्रा के माध्यम से सडक़ों की गुणवत्ता जांच करना मुख्य उद्देश्य है। जरूरी नहीं कि यह जांच मशीन से ही हो। सड़क को भौतिक रूप से देखकर भी कई बातों का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार व सार्वजनिक निर्माण विभाग की मंशा है जनता को अच्छी सड़कें मिले। इसके लिए हमने तकनीकी शिक्षा विभाग का सहयोग लिया है। इसके तहत हम रोड सेफ्टी ऑडिट भी कर रहे हैं। कार्यक्रम को यात्रा के कॉर्डिनेटर बाबूलाल नागर ने भी संबोधित किया।
पॉलिटेक्निक कॉलेज में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमविद्यार्थियों को दी यातायात नियमों की जानकारी कार्यक्रम के शुरुआत में विभाग की एईएन प्रियंका चौधरी ने कहा कि सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए यह यात्रा निकाली जा रही है। चौधरी ने विद्यार्थियों को पीपीटी के माध्यम से यातायात नियमों की जानकारी दी। गुणवत्ता नियंत्रण के एक्सईएन अनिल धौलिया ने छात्रों को प्रशिक्षण देते हुए दोष निवारण अवधि की सड़कों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में राजस्थान में यह अवधि 5 साल है। एक्सईएन धौलिया ने छात्रों को बताया कि निरीक्षण के दौरान उन्हें नम्बर कैसे देने हैं। अंत में कॉलेज के प्रिंसिपल उम्मेदसिंह कसाना ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में सड़क गुणवत्ता निरीक्षण एक आंदोलन बन चुका है। यह यात्रा आमजन के साथ छात्रों के लिए भी उपयोगी साबित होगी। इस यात्रा से आम नागरिक को सडक़ सुरक्षा के साथ गुणवत्ता की जानकारी हो रही है। मंच संचालन संजू चौधरी ने किया। कार्यक्रम में पीडब्ल्यूडी के एसई बस्तीराम डिडेल सहित अन्य अभियंता भी मौजूद रहे।
17 बिन्दुओं को लेकर हुआ निरीक्षण सगुनि यात्रा के तहत पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं के साथ पॉलिटेक्निक कॉलेज के विद्यार्थियों की कुल 17 टीमें बनाई गईं, जिन्होंने मंगलवार को नागौर व डीडवाना-कुचामन जिले के प्रत्येक ब्लॉक की दोष निवारण अवधि (डीएलपी)सडक़ों का निरीक्षण कर 17 बिन्दुओं के आधार पर आकलन किया। इसमें डीएलपीसड़कों में गड्ढ़े है या नहीं, सीसी सड़क में दरारें तो नहीं हैं, सड़क खुरदरी (गंजी) तो नहीं है, पटरियां साफ और समतल है या नहीं, सड़क किनारे की झाडिय़ां कटी हुई है या नहीं, सड़क किनारे माइल स्टोन लगे हुए हैं या नहीं, गिरे हुए तो नहीं हैं, सड़क के बीच व साइड में सफेद पट्टियां बनी हुई है या नहीं, जहां नाला है, वहां सुरक्षा दीवार है या नहीं, जहां ब्रेकर लगे हुए हैं, वहां सफेद मार्किंग की हुई है या नहीं, सड़क पर आने वाले गांवों के नाम लगे बोर्ड है या नहीं, चेतावनी बोर्ड एवं संकेतक लगे हुए है या नहीं, सडक़ निर्माण से संबंधित पूरी सूचना का बोर्ड लगा हुआ है या नहीं, सड़क पर अतिक्रमण तो नहीं है, आदि बिन्दुओं को सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों से प्रपत्र में 100 नम्बर की मार्किंग करवाई गई, जिनके आधार पर जिले की सड़कों गुणवत्ता का आकलन किया जाएगा।
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