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Nagaur patrika…सुविधाएं बढ़ी, चिकित्सा सुविधा मिली तो फिर वन जीवों को मिलने लगी जिंदगी…

पहले उपचार की सुविधा तक नहीं थी, अब पशुओं को उपचार के साथ ही मिलने लगा है आरामरेस्क्यू सेंटर में पशुओं को रखे जाने, विचरण करने तक के लिए बने प्राकृति वार्डनागौर. गोगेलॉव कंजर्वेशन सेंटर में सुविधाएं बढ़ी तो फिर पशुओं को नई जिंदगी मिलने लगी है। विशेषकर रेस्क्यू सेंटर में चिकित्सक लगाए जाने के […]

नागौरMay 20, 2025 / 10:14 pm

Sharad Shukla

पहले उपचार की सुविधा तक नहीं थी, अब पशुओं को उपचार के साथ ही मिलने लगा है आराम
रेस्क्यू सेंटर में पशुओं को रखे जाने, विचरण करने तक के लिए बने प्राकृति वार्ड

नागौर. गोगेलॉव कंजर्वेशन सेंटर में सुविधाएं बढ़ी तो फिर पशुओं को नई जिंदगी मिलने लगी है। विशेषकर रेस्क्यू सेंटर में चिकित्सक लगाए जाने के साथ ही पशुओं के इलाज के लिए दवाओं के साथ ही बड़े पशुओं को प्राकृतिक रूप से बनाए गए वार्ड में रखे जाने की व्यवस्था शुरू हुई तो अब नीलगायों को आदि को नवजीवन मिला है। गत पांच सालों के दौरान घायल वन जीवों के स्वस्थ होने की दरों में 34 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
गोगेलाव कंजर्वेशन के रेस्क्यू सेंटर की अब तस्वीर बदली हुई नजर आने लगी है। गत पांच सालों के दौरान यहां पर लाए जाने वाले वन जीवों के स्वस्थ्य होने की न केवल संख्या बढ़ी है, बल्कि इनके उपचार की व्यवस्थाएं बेहतर हो गई है। इसका परिणाम जिले के विभिन्न क्षेत्रों से घायल होकर आने वाले वन जीवों को मिलता नजर आने लगा है। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पांच साल पहले रेस्क्यू सेंटर में घायल वन जीवों के स्वस्थ होने का औसत केवल 17.88 प्रतिशत था, लेकिन वर्तमान में यानि की 2024-25 में यह औसत अब 51.09 प्रतिशत पहुंच गया। इस तरह से आंकड़ों में यह औसत प्रतिवर्ष बढ़ता चला गया।
ऐसे हुआ बदलाव तो बदली रेस्क्यू सेंटर की तस्वीर
वन विभाग में उपवन संरक्षक के तौर पर रहे तत्कालीन उपवन संरक्षक सुनील कुमार चौधरी ने प्रयास कर यहां पर स्थाीय तौर पर पशु चिकित्सकी व्यवस्था कराई। इसके साथ ही आवश्यक दवाओं एवं इससे जुड़े संसाधनों के प्रबन्ध किए गए। घायल वन जीवों के लिए अलग से नंबर जारी कर कंट्रोल रूम बनवाया। जिस पर जिले के किसी भी क्षेत्र से घायल वन जीवों की सूचना दी जा सके। सूचना मिलने के बाद विभागीय वाहन के मार्फत वन कर्मियों को तत्काल मौके पर पहुंचकर घायल वन जीवों को रास्ते के पशु चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार के साथ कंजर्वेशन के रेस्क्यू सेंटर में पहुंचाए जाने की व्यवस्था की। इस संबंध में वन कर्मियों के माध्यम से स्थानीय ग्रामीणों का भी सहयोग लिया गया। इसके अलावा कंजर्वेशन क्षेत्र में रेस्क्यू सेंटर के नजदीक एक बाड़ा बनवाया गया। इस बाड़े में बड़े वन जीवों के विशेषकर नीलगाय आदि के अलग से रखे जाने की व्यवस्था की गई। व्यवस्थाएं सुचारु रूप से संचालित हो रही है कि नहीं, कि निगरानी के लिए खुद के स्तर पर लगातार समीक्षाएं की। फलस्वरूप घायल वन जीवों के स्वस्थ होने का औसत बढ़ता चला गया।
वन जीवों की चिकित्सा में किया समर्पित
रेस्क्यू सेंटर में चिकित्सक के तौर पर उस दौरान रहे डॉ. सुरेश कड़वासरा का इसको व्यवस्थित करने में भी अहम योगदान रहा। हालांकि अस्थाई तौर पर व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कड़वासरा को लगाया था, लेकिन डॉ. कड़वासरा खुद के स्तर पर पशुओं की देखभाल एवं चिकित्सा के लिए अतिरिक्त समय देते रहे। घायल पशुओं के आने की सूचना पर तुरन्त रेस्क्यू सेंटर पहुंचते रहे। कई बार रात्रि में घंटो चिकित्सा व्यवस्था में लगे रहते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि घायल पशुओं को रेस्क्यू सेंटर में आने के बाद नई जिंदगी मिलने लगी।
दर्जनों की संख्या में आते हैं घायल वन जीव
वन विभाग के अनुसार गोगेलाव स्थित कंजर्वेशन सेंटर में रोजाना आने वाले वन जीवों की संख्या दर्जन भर से ज्यादा होती है। यहां पर आने वाले वन जीवों में ज्यादातर हरिण व नीलगाय ही होते हैं। मोरों की संख्या इन दोनों के औसतन केवल 50 प्रतिशत ही रहती है। यहां पर नागौर एवं इसके आसपास के निकटवर्ती जंगलों से वन जीव घायल होकर लाए जाते हैं।
वर्ष स्वस्थ पशु संख्या औसत
2020-21 201 17.88
2021-22 189 25.43
2022-23 375 38.22
2023-24 363 39.93
2024-25 767 51.09

कुल इतने वन जीव आए थे
रेस्क्यू सेंटर में घायल आने वाले वन जीव वर्ष 2021-22 में 1124, वर्ष 2021-22 में 743, वर्ष 2022-23 में 981, वर्ष 2023-24 में 909 और 2024-25 में 1501 आए थे। इस प्रकार से कुल 5258 में से 1895 पशु स्वस्थ होकर फिर से जंगलों में लौटे।
इनका कहना है…
रेस्क्यू सेंटर में आने वाले पशुओं की उपचार की बेहतर व्यवस्था विभाग की ओर से की गई है। इसका परिणाम अब बेहतर नजर आने लगा है।
विजयशंकर, उपवन संरक्षक, वन विभाग नागौर

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