तुर्की के सेब का बहिष्कार! व्यापारी बोले- पाकिस्तान का साथ देने वाले ‘गद्दार’ को सबक सिखाएंगे
Boycott Turkey Movement : पुणे के सेब व्यापारियों ने तुर्की से सेब खरीदना बंद कर दिया है और अब हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान और अन्य जगहों से सेब आयात कर रहे हैं।
Boycott Turkey Apple : भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच तुर्की द्वारा पाकिस्तान के खुले समर्थन के चलते देशभर में बॉयकॉट तुर्की मुहिम जोर पकड़ रहा है। पुणे में इस मुहिम के समर्थन में सेब व्यापारियों ने तुर्की से आयातित सेबों का बहिष्कार करने की घोषणा की है, जिसके चलते बाजार से तुर्की के सेब पूरी तरह से गायब हो गए हैं।
पुणे के एपीएमसी (कृषि उत्पन्न बाजार समिति) के सेब व्यापारी सुयोग झेंडे ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में तुर्की के सेबों की मांग में भारी गिरावट आई है। आम नागरिक भी बॉयकॉट तुर्की अभियान में शामिल हो गए हैं और तुर्की के सेबों के बजाय अन्य जगहों से आने वाले सेब खरीद रहे हैं।
50 फीसदी मांग घटी
सेब व्यापारी झेंडे ने कहा, “हमने तुर्की से सेब खरीदना बंद करने का फैसला किया है, क्योंकि तुर्की पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। अब हम हिमाचल और अन्य क्षेत्रों से सेब खरीद रहे हैं। भारत आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रहा था, लेकिन तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन की आपूर्ति की। खुदरा ग्राहक भी कह रहे हैं कि वे तुर्की के सेब नहीं खरीदना चाहते। उन्हें देखकर हमने भी तुर्की के सेबों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया। तुर्की के सेब यहां लगभग तीन महीने तक बिकते हैं और यह कारोबार लगभग 1200 करोड़ रुपये से अधिक का होता है। जब तुर्की में भूकंप आया था, तब भारत सबसे पहले मदद करने वाला देश था, लेकिन आज वे पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे गद्दार लोगों का सेब हम भारतीय क्यों खाए, इसलिए बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है।”
वहीँ, एक अन्य फल व्यापारी ने बताया कि तुर्की सेबों की मांग में लगभग 50 फीसदी की गिरावट आई है। लोग खुद ही तुर्की उत्पादों से दूरी बना रहे हैं। खुदरा स्तर पर यह बहिष्कार और भी प्रभावशाली हो रहा है।
1200 करोड़ रुपये का है कारोबार
इस बहिष्कार का शहर के फल बाजार पर बड़ा असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि तुर्की से आयातित सेब आमतौर पर हर सीजन में 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये तक का कारोबार करते हैं। व्यापारियों का कहना है कि यह कदम न केवल आर्थिक है, बल्कि देश की सेना और सरकार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए भी है।
स्थानीय नागरिक भी इस मुहिम में खुलकर हिस्सा ले रहे हैं। एक निवासी ने कहा, हमारे पास सेब की कई किस्में हैं। ऐसे में उस देश से फल क्यों खरीदें, जो हमारे खिलाफ खड़ा हो? ऐसे में इस बहिष्कार से न सिर्फ तुर्की को आर्थिक झटका लगेगा, बल्कि स्थानीय और घरेलू उत्पादकों को भी नया बाजार मिलेगा।
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