अतिरिक्त जिला न्यायाधीश पी.आर. अष्टुरकर ने यह फैसला सुनाया। इस मामले में खास बात यह रही कि पीड़िता की साहसी और स्पष्ट गवाही ने आरोपी को दोषी साबित करने में अहम भूमिका निभाई। अदालत ने न सिर्फ दोषी को सजा दी बल्कि पीड़िता को मुआवजा दिलाने और सरकारी योजनाओं का लाभ देने के निर्देश भी दिए हैं।
क्या है मामला?
यह दिल दहला देने वाली घटना वर्ष 2015 में ठाणे जिले के डोंबिवली शहर में घटी थी। आरोपी उस समय 22 वर्ष का था और पीड़िता 15 वर्ष की थी। अगस्त और सितंबर 2015 में जब पीड़िता घर पर अकेली थी, तब आरोपी भाई ने दो बार उसके साथ बलात्कार किया। दोषी भाई ने अगस्त 2015 में पहली बार रात में घर आकर पीड़िता से आधी रात के करीब जबरदस्ती की। किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी। इसके एक महीने बाद उसने दोबारा वही किया। जब पीड़िता ने विरोध किया और चीखने लगी, तो आरोपी ने टीवी की आवाज तेज कर दी और चाकू निकालकर उसकी जान लेने की धमकी दी। इस दौरान पीड़िता घायल भी हुई।
बड़े भाई के अत्याचार से तंग आकर पीड़िता ने आखिरकार अपने पिता और मित्र को घटना के बारे में बताया, जिन्होंने उसे हिम्मत दी और फिर पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पीड़िता के बयान के आधार पर रामनगर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया और आरोपी भाई को गिरफ्तार कर लिया गया।
10 साल बाद मिला न्याय
करीब 10 साल बाद इस मामले की सुनवाई कल्याण कोर्ट में पूरी हुई। सरकारी वकील कदंबिनी खंडागले ने पीड़िता का पक्ष मजबूती से रखा, जबकि आरोपी की ओर से वकील रश्मी भांडारकर ने बचाव में दलीलें दी। लेकिन कोर्ट ने पीड़िता की गवाही और मेडिकल सबूतों को निर्णायक मानते हुए आरोपी को दोषी करार दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता को जुर्माने की राशि दी जाए, साथ ही पीड़िता को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के निर्देश भी दिए।