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Maharashtra Politics: अजित पवार ने चली बड़ी सियासी चाल, साधा एक तीर से दो निशाने

Maharashtra Politics: पिछले कुछ महीनों से रायगढ़ जिले के संरक्षक मंत्री के पद को लेकर सत्तारूढ़ महायुति के भीतर रस्साकशी चल रही है।

मुंबईMay 19, 2025 / 10:59 pm

Dinesh Dubey

महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों से एक बड़ी खबर सामने आई है। महाड की पूर्व नगराध्यक्ष और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की तेजतर्रार नेता स्नेहल माणिकराव जगताप ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार की उपस्थिति में एनसीपी में शामिल होकर जिले में बड़ा सियासी उलटफेर कर दिया है। रायगड जिले के महाड स्थित चांदे मैदान में आयोजित इस प्रवेश समारोह ने स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है, और आनेवाले निकाय चुनावों में समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है।
अब तक ठाकरे गुट का मजबूत चेहरा मानी जा रहीं स्नेहल जगताप के इस कदम को उद्धव ठाकरे के लिए एक और करारा झटका माना जा रहा है, खासकर जब राज्य में स्थानिक चुनावों की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। विशेष बात यह है कि स्नेहल जगताप, शिवसेना (शिंदे गुट) के रायगड जिले से विधायक भरत गोगावले की कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रही हैं। ऐसे में उनके एनसीपी में शामिल होने से रायगढ़ के संरक्षक मंत्री पद को लेकर मचे सियासत घमासान के और गरमाने की उम्मीद है।
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रविवार को हुए इस कार्यक्रम में सांसद सुनील तटकरे, मंत्री अदिती तटकरे, पूर्व विधायक अनिकेत तटकरे सहित कई प्रमुख नेता मौजूद थे, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिला कि एनसीपी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के इरादे से मैदान में उतरी है।
बीते कुछ महीनों से रायगड जिले के संरक्षक मंत्री पद को लेकर सत्तारूढ़ महायुति में रस्साकशी चल रही है। एक ओर जहां भरत गोगावले इस पद के प्रबल दावेदार हैं, वहीं दूसरी ओर एनसीपी भी इस पद पर अपना दावा ठोक रही है। ऐसे में स्नेहल जगताप का एनसीपी में प्रवेश करना इस संघर्ष को और गहरा बना सकता है।
लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद उम्मीद की जा रही थी कि महाविकास आघाड़ी (MVA) विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी। लेकिन महायुति ने 232 सीटों पर विजय हासिल कर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार में वापसी की, जबकि विपक्षी गठबंधन एमवीए महज 50 सीटों तक सिमट गई। चुनावी पराजय के बाद महाविकास आघाड़ी में फूट साफ तौर पर देखने को मिल रही है। कई वरिष्ठ नेता महायुति गठबंधन में शामिल हो चुके हैं और अभी भी यह राजनीतिक पलायन जारी है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट को भुगतना पड़ रहा है, जो अब धीरे-धीरे संगठनात्मक रूप से कमजोर होता दिख रहा है। स्नेहल जगताप जैसे अनुभवी चेहरे का साथ छोड़कर जाना उद्धव गुट के लिए एक और बड़ा झटका है, जो आने वाले चुनावों में उसकी रणनीति और साख दोनों को चुनौती देगा।

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