पत्नी के इलाज के लिए चुना था कर्नाटक राज्य
आगे जज रमना ने बताया कि मेरा ट्रांसफर आंध्र प्रदेश से एमपी हाईकोर्ट बिना किसी कारण के किया गया था। मुझसे कई विकल्प मांगे थे। विकल्प के तौर पर मैंने मेरी पत्नी के बेहतर इलाज के लिए कर्नाटक राज्य चुना था। मगर, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पुनर्विचार नहीं किया। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी की तबियत खराब होने के कारण उन्होंने कर्नाटक ट्रांसफर करने की मांग की थी।
कोरोना में पत्नी हुई थी बीमार
जस्टिस रमण ने कहा कोरोना महामारी के बीमारी से पीड़ित थी। उस दौरान मुख्य न्यायाधीशों के द्वारा मेरे ट्रांसफर पर न तो विचार किया गया न ही इसे खारिज। मुझे जज से सकारात्मक विचार की उम्मीद थी। मैं इस रवैए से काफी दुखी और नाराज हुआ। मेरे ट्रांसफर का आदेश दुर्भावनापूर्ण इरादे से जारी किया गया। भगवान न तो आसानी से भूलते हैं और न ही क्षमा करते हैं। वह किसी और रुप में दर्द सहेंगे। कोई भी हमेशा पद पर नहीं रहता। हालांकि, मेरे भाग्य के अनुसार यह चीज अभिशाप की जगह मेरे लिए वरदान साबित हुई। मुझे जबलपुर और इंदौर के जजों का अपार समर्थन और सहयोग मिला।
मुझे मेरी मां और बड़े भाई ने पाला
अपने जीवन के संघर्षों को बताते हुए जस्टिस रमना ने कहा मेरी जीवन यात्रा एक दूरदराज के गांव में शुरू हुई। जहां बिजली, सड़क, मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलती थीं। पहली बार जब मैं 14 साल का था तब बिजली तब देखी थी। 13 साल की उम्र में मेरे पिता की हार्नेस में मृत्यु हो गई। मुझे मेरी मां और भाई ने पाला। उन्होंने मुझे पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। जीवन में कई चुनौतियों का सामना करने के बाद महसूस किया कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है।
मेरा ट्रांसफर परेशान करने के लिए हुआ
जस्टिस रमण ने बताया कि उनका ट्रांसफर उन्हें परेशान करने के लिए किया गया था। मगर मैंने इसका उल्ट जवाब दिया। मैंने दोनों राज्यों में आंध्र प्रदेश और मध्यप्रदेश में स्थायी योगदान दिया। मुझे अमरावती, कृष्णा, गोदावरी और नर्मदा की भूमि में सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ। इन अवसरों के लिए मैं धन्य हूं।
मार्टिन लूथर किंग जूनियर की पंक्तियों का हवाला दिया
जज ने कहा मुझे मार्टिन लूथर किंग जूनियर की कुछ लाइनों याद हैं। जिसमें वह कहते हैं कि कि एक व्यक्ति की अंतिम कसौटी यह नहीं है कि वह आराम और सुविधा के क्षणों में कहां खड़ा है। बल्कि यह कि वह विवाद और चुनौतियाँ के समय कहां पर खड़ा है। मैंने जो कुछ भी जीवन में कुछ हासिल किया है। वह बहुत संघर्षपूर्ण था।
चुनौतियों को स्वीकार करते हुए खुद को मजबूत किया
जज ने कहा कि मैंने अपने रास्ते में आने वाली सभी चुनौतियों को स्वीकार किया और खुद को और मजबूत बनाया। मैंने समझा कि हर सफलता में लाभ का एक बीज होता है। मैंने कभी खुद को विद्वान जज या महान जज होने का दावा नहीं किया, लेकिन मैंने हमेशा माना कि न्याय पालिका प्रणाली का अंतिम उद्देश्य आम आदमी को न्याय प्रदान करना है।