‘मुसलमानों की दर्द की कोई बात नहीं करता’
उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियां मुसलमानों को तेज पत्ते की तरह इस्तेमाल करती हैं। इलेक्शन हो जाने पर मुसलमानों को तेज पत्ते की तरह बाहर निकाल दिया जाता है। मुस्लिमों के दर्द की बात कोई नहीं करता है। एक तरफ राजनीतिक पार्टियां मुस्लिमों को हितैषी बताती हैं, तो दूसरी तरफ मुसलमानों के साथ खड़ी नहीं दिखतीं। मुसलमानों से वोट तो लेंगे, लेकिन मुसलमानों का साथ नहीं देंगे।
केंद्र सरकार से मुसलमानों को सत्ता में हिस्सेदारी देने की मांग
सूफी कशिश वारसी ने आगे कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने जो नारा दिया है, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास,’ उन्होंने यह करके दिखाया कि केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मुसलमानों को भी मिला। उन्होंने मुसलमानों से अपील की है कि वे आने वाले चुनावों में अपना हमदर्द ढूंढे और जो राष्ट्रहित की बात करे, जो उनके हित की बात करे, जो यह कहे कि मुसलमानों को उनकी हिस्सेदारी सरकार और सत्ता के अंदर देंगे, उनको अपना वोट दें। कशिश वारसी ने कहा कि अगर भाजपा मुसलमानों के वोट चाहती है तो वह सरकार में मुस्लिमों को हिस्सेदारी दे। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की है कि सूफियों को सत्ता के अंदर भागीदारी मिलनी चाहिए। क्या राहुल गांधी को बस मुसलमानों के वोट चाहिए? इस पर कशिश वारसी ने कहा कि राहुल गांधी को सिर्फ मुसलमानों के वोट चाहिए। अब राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी अपने दामन में लगे दाग को धोना चाहती है।