CUG नंबर उठाने में लापरवाही पर होगी कार्रवाई
कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, अमरोहा और संभल के जिलाधिकारियों को स्पष्ट आदेश जारी किया है कि अधिकारी अपने CUG नंबर खुद उठाएं। यह नंबर शासन द्वारा इसलिए उपलब्ध कराए गए हैं ताकि जनता, जनप्रतिनिधियों और आपदा जैसी परिस्थितियों में तुरंत संपर्क स्थापित किया जा सके। कमिश्नर ने कहा कि यह गंभीर मामला है कि कुछ अधिकारी सीयूजी नंबर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को सौंप देते हैं, जिससे समय पर जरूरी जानकारियां नहीं मिल पातीं और जनता में शासन के प्रति विश्वास कम होता है। ऐसी स्थिति में सरकार की छवि को भी नुकसान होता है।
कमिश्नर ने बनाई निगरानी टीम, होगी रैंडम कॉलिंग
कमिश्नर ने बताया कि अधिकारियों के फोन रिस्पॉन्स की जांच के लिए विशेष टीम बनाई गई है। यह टीम रैंडम कॉलिंग के जरिये यह सुनिश्चित करेगी कि अधिकारी वाकई CUG नंबर उठा रहे हैं या नहीं। यदि कोई अधिकारी कॉल उठाने में असमर्थ हो (जैसे बैठक में व्यस्त हो), तो बाद में कॉल बैक करना अनिवार्य होगा। इस निर्देश की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
स्कूलों में मोबाइल पर भी कमिश्नर की सख्ती
स्कूलों में मोबाइल फोन के बढ़ते दुरुपयोग और बच्चों पर उसके दुष्प्रभावों को लेकर भी कमिश्नर ने अहम कदम उठाया है। मंडल के सभी स्कूलों और कॉलेजों के प्राचार्यों को निर्देश दिए गए हैं कि स्कूल परिसर में छात्र-छात्राओं द्वारा मोबाइल फोन का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित हो। कमिश्नर ने कहा कि मोबाइल फोन बच्चों की मानसिक एकाग्रता को भंग कर रहा है और उनके व्यवहार पर भी गलत असर डाल रहा है। कई स्कूलों में मोबाइल के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है, जो अनुचित है और बच्चों में मोबाइल की लत को बढ़ावा दे रही है।
होमवर्क सिर्फ अध्यापक की निगरानी में
कमिश्नर ने निर्देश दिया कि यदि छात्रों को मोबाइल फोन के माध्यम से कोई कार्य (जैसे प्रोजेक्ट या होमवर्क) कराना आवश्यक है, तो वह कार्य कक्षा में ही अध्यापक की निगरानी में कराया जाए। इसके लिए घर पर मोबाइल से होमवर्क न दिया जाए। शासन ने स्पष्ट किया है कि तकनीक का उपयोग शिक्षा में होना चाहिए लेकिन उसका अत्यधिक प्रयोग बच्चों के मानसिक विकास को बाधित कर रहा है, इसलिए सावधानी जरूरी है।