सांसद राजीव राय ने आरोप लगाया कि 19 मार्च को अरविंद राजभर अपने 20-25 समर्थकों के साथ बिना किसी अनुमति के रेलवे स्टेशन पहुंचे। उन्होंने न केवल स्टेशन परिसर का निरीक्षण किया, बल्कि वहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की, जिससे रेलकर्मियों और यात्रियों को असुविधा हुई।
रेल मंत्री से राजीव राय ने की थी शिकायत
राजीव राय ने इस बाबत 21 मार्च को केंद्रीय रेल मंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की थी और संसद में भी मामला उठाया था। इसके बाद 4 अप्रैल 2025 को आरपीएफ ने रेलवे अधिनियम की धारा 145, 146, 147 सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक्सेस कंट्रोल रूम को प्रभावी ढंग से लागू करने और प्लेटफॉर्म पर अवैध आवाजाही रोकने के निर्देश जारी किए हैं। साथ ही स्पष्ट किया गया है कि यात्रियों की सुविधा में कोई बाधा न आए।
एफआईआर दर्ज होने के बाद डॉ. अरविंद राजभर ने इसे राजनीतिक द्वेष से प्रेरित बताया। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि वे स्टेशन पर केवल अपनी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के स्वागत के लिए गए थे, न कि किसी निरीक्षण हेतु। उन्होंने कहा, “किसी भी वीडियो फुटेज में मेरे साथ कोई रेलवे अधिकारी मौजूद नहीं है। मैंने न कोई निरीक्षण किया और न ही स्टेशन के अंदर कोई कार्यक्रम किया।”
डॉ. अरविंद राजभर ने कहा कि घोसी लोकसभा में उनकी बढ़ती लोकप्रियता से राजीव राय घबरा गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप गढ़े जा रहे हैं। राजभर ने स्पष्ट किया कि पत्रकारों को कार्यक्रम की जानकारी पहले ही दी गई थी और प्रेस वार्ता स्टेशन के बाहर की गई थी।
इस पूरे प्रकरण से घोसी की राजनीति में हलचल तेज हो गई है और आने वाले समय में यह मामला चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।