गौरतलब है कि 31 मई 2025 को मऊ सेशन कोर्ट ने अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। साथ ही उनके चुनाव एजेंट मंसूर को छह महीने की कैद और दोनों पर दो-दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। जबकि अब्बास के छोटे भाई उमर अंसारी को बरी कर दिया गया था। सजा के ऐलान के बाद 1 जून को विधानसभा सचिवालय ने अब्बास की सदस्यता समाप्त कर दी थी और मऊ सीट को रिक्त घोषित कर उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई थी।
अब्बास ने सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में रिविजन पिटीशन दाखिल की थी। 30 जुलाई को बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर बुधवार को फैसला सुनाया गया।
क्या है पूरा मामला?
3 मार्च 2022 को मऊ के पहाड़पुर मैदान में चुनावी सभा के दौरान अब्बास अंसारी ने विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सरकार बनने के बाद छह महीने तक न तो कोई तबादला होगा और न ही तैनाती। अधिकारी-कर्मचारियों को अपने काम का हिसाब देना पड़ेगा। इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने उन पर 24 घंटे तक प्रचार करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद 4 अप्रैल 2022 को तत्कालीन एसआई गंगाराम बिंद की तहरीर पर शहर कोतवाली में FIR दर्ज की गई थी, जिसमें अब्बास, उनके भाई उमर अंसारी, चुनाव एजेंट मंसूर और 150 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया था।
हाईकोर्ट के ताजा आदेश के बाद अब्बास अंसारी की सदस्यता बहाल हो गई है और उपचुनाव की प्रक्रिया स्वतः समाप्त हो जाएगी।