‘वृंदावन को कंक्रीट नहीं, तुलसी-वृक्षों से सजाया जाए’
वृंदावन में कंक्रीट का गलियारा न बने, बल्कि स्थानीय लोगों के सहयोग से तुलसी, लता-पता, वृक्षों से सजा मार्ग बने, जिसमें प्रवेश करते समय वास्तविक वृंदावन का आभास हो। गंगोत्री धाम में भागवत कथा कह रहे देवकीनंदन महाराज ने कहा है कि बांके बिहारी मंदिर की परमंपरागत सेवा-पूजा एवं व्यवस्था में बदलाव नहीं होना चाहिये। मुख्य मार्ग चौड़े होने चाहिये लेकिन वृंदावन का सही मायने में विकास तभी माना जा सकता है, जब निर्मल यमुना की जलधारा आने लगे। स्वच्छ यमुनाजल से ठाकुरजी को स्नान कराकर सेवा पूजा की जा सके।
‘मांस और मदिरा से मुक्त हो ब्रज-वृंदावन’
ब्रज-वृंदावन मांस और मदिरा से मुक्त हो जाये। बुधवार को कथा के दौरान उन्होंने कहा कि तिरुपति मंदिर दुषित प्रसाद मामले के बाद से वह ‘सनातन बोर्ड’ की मांग इसीलिये करते आ रहे हैं कि मंदिरों की पूजा पद्धिति एवं संस्कृति बची रहे। यह भी पढ़ें:
राम मंदिर को ब्याज-चढ़ावे से 316 करोड़ की आमदनी, निर्माण पर खर्च हुए 450 करोड़ रुपये देवकीनंदन महाराज ने कहा कि नमाज पढ़वाने के लिये सरकार और प्रशासन सड़क पर भी व्यवस्था करवा देते हैं, इसके लिये ट्रैफिक को कंट्रोल कर डायवर्ट तक कर दिया जाता है। फिर बांकें बिहारी जैसे मंदिरों में दर्शन को आने वाले यात्रियों के लिये उचित व्यवस्थायें क्यों नहीं बनायी जा सकतीं। उन्होंने कहा कि भगवान के दर्शन को पैदल चलकर जाने का शास्त्रीय विधान है। मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर वाहन रोककर पैदल जाना चाहिये।