भोपाल की रहने वाली ललिता अपनी मां आशा अहिरवार और बेटे रक्षम के साथ 6 जून को खाटू श्यामजी के दर्शन के लिए पहुंची थीं। भोपाल से जयपुर पहुंचते हुए ललिता की मुलाकात एक युवक से हुई, जिसने खुद को भी खाटू श्यामजी जाने वाला बताया। इसके बाद सभी साथ में यात्रा करने लगे। खाटू श्यामजी पहुंचने के बाद दर्शन के दौरान रक्षम अचानक गायब हो गया। ललिता ने तुरंत उस युवक पर अपने बेटे के अपहरण का आरोप लगाया।
CCTV की मदद से मथुरा तक पहुंची पुलिस
सीकर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए CCTV फुटेज खंगालना शुरू किया, जिसमें वह युवक बच्चे के साथ नजर आया। कुछ ही देर बाद, पूर्व प्रधान देवजीत का पुलिस के पास फोन आया, जिसमें उन्होंने बताया कि बच्चा मथुरा के शेरगढ़ में है। सूचना मिलते ही सीकर पुलिस मथुरा के शेरगढ़ पहुंची और पूछताछ करते हुए सतीश नामक युवक के घर तक जा पहुंची। सतीश के घर से बच्चे को लेकर सीकर रवाना हो गई, जहां रक्षम को उसकी मां ललिता को सौंप दिया गया।
मां का आरोप: ‘मंदिर में बोला था- दीदी बच्चा मुझे दे दो’
ललिता जाटव ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि एकादशी के कारण मंदिर में बहुत भीड़ थी और उनका बेटा रक्षम तबीयत खराब होने के कारण लगातार रो रहा था और उसे कई बार उल्टी भी हो चुकी थी. तभी उस युवक ने कहा, “दीदी, आप परेशान हो रहे हो. बच्चे को आप मुझे दे दो।” ललिता ने बताया कि युवक बेटे को गोद में लेकर दुलार करते हुए लाइन में चल रहा था और उन्होंने अपने मोबाइल से उसका वीडियो भी बनाया था। युवक ने उनसे कहा था, “आप दोनों दर्शन करके आ जाओ। आपके आने के बाद मैं दर्शन कर लूंगा.” भीड़ और बच्चे की तबीयत को देखते हुए ललिता ने युवक पर विश्वास कर लिया और बेटे को उसकी गोद में देकर दर्शन करने चली गईं। जब वह वापस लौटीं, तो न तो बेटा मिला और न ही वह युवक।
आरोपी का दावा: ‘मैंने अपहरण नहीं किया, मदद की’
पकड़े गए युवक सतीश ने बताया कि वह मूल रूप से स्योहारा के नगला प्रतापगढ़ का रहने वाला है और शेरगढ़ में रहता है। वह अक्सर खाटू श्यामजी के दर्शन के लिए जाता रहता है। उसने बताया कि जयपुर स्टेशन पर उसकी मुलाकात बच्चे की मां और नानी से हुई, जिसके बाद बातचीत में सभी खाटू श्यामजी साथ पहुंच गए। सतीश के मुताबिक, महिला ने भीड़ अधिक होने के कारण बच्चे को उसके पास छोड़ दिया और खुद दर्शन करने चली गईं। सतीश का कहना है कि वह खाटू श्याम मंदिर के मुखारबिंद पर 6 घंटे तक बच्चे के साथ बैठा रहा, लेकिन जब बच्चे की मां और नानी नहीं आईं, तो वह उस जगह पहुंचा जहां उनका बैग रखा था। वहां भी काफी इंतजार करने के बाद जब कोई नहीं आया, तो वह बच्चे को लेकर अपने गांव आ गया। उसने अपने भाई के फोन से पूर्व प्रधान देवजीत को इसकी सूचना दी, जिसके बाद पूर्व प्रधान ने पुलिस को जानकारी दी और बच्चा परिवार के पास पहुंच गया। सतीश लगातार दावा कर रहा है कि उसने अपहरण नहीं किया, बल्कि बच्चे की मदद की है और उसकी नीयत साफ थी।
इंस्पेक्टर सुधीर सिंह का कहना है कि पुलिस 11 जून को मासूम को लेकर गई है। महिला ने अभी तक कोई लिखित तहरीर नहीं दी है। यदि तहरीर मिलती है, तो मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, सीकर पुलिस सतीश को भी अपने साथ ले गई है, जहां उससे विस्तृत पूछताछ की जा रही है।