समर्थन-विरोध के बीच पारित हुआ प्रस्ताव
घनश्याम चौधरी का कहना था कि इस परियोजना से वृंदावन की ऐतिहासिक कुंज गलियां और पारंपरिक संस्कृति प्रभावित होगी। उन्होंने आशंका जताई कि इससे सैकड़ों लोग विस्थापित हो सकते हैं। उनके इस बयान पर अन्य पार्षदों ने आपत्ति जताई और हंगामा खड़ा हो गया। महापौर विनोद अग्रवाल ने स्थिति को संभालते हुए बैठक को शांत कराया। पार्षदों का कहना था कि मंदिर क्षेत्र में भीड़ के कारण आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। श्रद्धालु अव्यवस्थाओं के चलते दर्शन के बाद जल्दबाजी में लौट जाते हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों को नुकसान होता है। ऐसे में कॉरिडोर निर्माण जरूरी है जिससे भीड़ को व्यवस्थित किया जा सके और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिल सके।
गोस्वामी समाज की आशंकाओं का किया जाएगा समाधान: महापौर
महापौर ने यह भी स्पष्ट किया कि गोस्वामी समाज की आशंकाओं का समाधान किया जाएगा। यदि वे बिहारपुरा में आवास चाहते हैं, तो प्रशासन इस पर काम करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि अफवाहों पर विश्वास न करें और सहयोग करें। महापौर विनोद अग्रवाल ने यह भी कहा कि बांके बिहारी मंदिर क्षेत्र में और विकास की आवश्यकता है। उन्होंने आगामी समय में 90 करोड़ की लागत से भूमिगत नाले के निर्माण की भी घोषणा की, जिससे जलभराव की समस्या से छुटकारा मिलेगा। हालांकि, पार्षद संतोष पाठक ने महापौर के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन विकास कार्यों की बात की गई थी, वे जमीन पर दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस पर महापौर ने जवाब दिया कि प्रत्येक वार्ड को 30-30 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।